मनाने आ गए जश्न मेरी तबाह में आँखों के पर्दे नम हैं सूखने की चाह में फूल मुरझाए तो बिछ गए कांटे राह में ज़ीस्ते-रंग उड़ा लगे दुनिया बेरंग सी ये भटक गए ठोकर से जीना है गुमराह में फलक तक जाने का ख़्वाब टूट चुका किनारे बहता हुआ पानी बना बराह में बिखर गया रत्ती रत्ती तूफ़ा रुकने तक बटोर रहे मिट्टी फूटते बोल हैं कराह में दाग लगा दामन में तब हालत न देखी मनाने आ गए सारे जश्न मेरी तबाह में गए थे लाने आसमा महकते फूलों का समझे न साज़िश को थे इतने फराह में ● ● ● हार कर ख़ुश हो लेंगें ख़ुश होने दो जीतकर आज उन्हें हम एक दिन हारकर ख़ुश हो लेंगें । देखने दो दुनिया पूरी चलकर उन्हें हम अपनी दुनिया मे खुश हो लेंगें । दे देंगें सब वापिस जो है उनको हम खाली हाथ होके खुश हो लेंगे । ये जद्दोजहद इतनी मुबारक उनको हम चोट खाये फिरभी ख़ुश हो लेंगें । जोड़ लो अरमान जितने जोड़ सको हम टूटे ही ख़्वाब लिए ख़ुश हो लेंगे । पा जाएं पहला औदा भागा - दौड़ में...
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