हम कितने भी बड़े क्यों न हो जाएँ पर बचपन Childhood को कभी भी भुला नहीं सकते। कभी कभी मन उन Childhood memories में चला ही जाता है जब हम अपने आप को तनहा मह्सूस करते हैं या परेशान होते हैं । वैसे भी आजकल भागदौड़ भरी लाइफ में बहुत ही कम समय निकल पाता है अपनी उन Childhood memories में जाने के लिए।
तो चलिए इसShort Hindi Poem|Childhood बचपन मे जाना चाहता हूँ के माध्यम से कुछ पल के लिए ही सही अपने Childhood में जाने का प्रयास किया जाये।
Hindi Short Poem | Childhood|बचपन मे जाना चाहता हूँ |
Image by lisa runnels from Pixabay
Hindi Short Poem Childhood | बचपन मे जाना चाहता हूँ
मैं वापिस अपने उस बचपन मे जाना चाहता हूँभूल गया हँसना जो मुस्कान वो पाना चाहता हूँ
कुछ परेशान सा रहता है दिल न जाने क्यों
न चिन्ता न फिक्र वो सकूँन पाना चाहता हूँ
भाग-दौड़ की लाइफ में दोस्त भी हैं रहते सारे व्यस्त
फुरसती नटखट नन्हे मित्रों से बस मिलना चाहता हूँ
फुरसती नटखट नन्हे मित्रों से बस मिलना चाहता हूँ
भीड़ है चारो तरफ लोगो की फिर भी क्यों अकेला हूँ
बस मम्मी पापा के संग मे वैसा मेला घूमना चाहता हूँ
बस मम्मी पापा के संग मे वैसा मेला घूमना चाहता हूँ
मनोरंजन के साधन कई यहाँ, पर व्यर्थ हैं सारे के सारे
रंगीले मन को लुभाते उन खिलौनों से खेलना चाहता हूँ
रंगीले मन को लुभाते उन खिलौनों से खेलना चाहता हूँ
क्या खाना है क्या है पीना बीमारी के हुए लक्षण हज़ार
माँ जो खिलाती अम्रत हो जाता बस वो खाना चाहता हूँ
माँ जो खिलाती अम्रत हो जाता बस वो खाना चाहता हूँ
अब काम से फुर्सत ही नही मिलती, रोटी जो है चलानी
स्कूल की वो छुट्टी में दादी , नानी के घर जाना चाहता हूँ
स्कूल की वो छुट्टी में दादी , नानी के घर जाना चाहता हूँ
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