गणित एक ऐसा विषय है जिसको देखकर बच्चे भागते हैं उससे हमेशा पीछा ही छुड़ाया करते हैं परन्तु उन्हें ये नही पता कि जिस विषय को आज वो अनदेखा और बोरिंग विषय मानतें हैं यही विषय अपने आप में एक ऐसा विषय है जो सामाज में हर जगह और हर वक्त प्रयोग में लाया जाता है।जिसके बिना दुनिया में हर बड़े से बड़ा कार्य का होना नामुमकिन है।
Hindi Article -Mathematics| गणित सोंचने का अच्छा साधन है
चूँकि गणित सोंचने का अच्छा साधन है इसलिए गणित सोंचने की शक्ति को तीव्र करता है और नये नये विचारों को उत्पन्न करता है। गणित से दिमाग़ की कसरत भी काफी अच्छी हो जाती है। इसकी सहायता से हम नये-नये अविष्कार को करने में सक्षम हुये हैं जो कुछ नही हो सकता है गणित की सहायता से उसे सम्भव बानाया जा सकता है। गणित पढ़ने वाले विद्यार्थी हमेशा किसी भी कार्य को करने में तीव्र सक्रिय होतें है उनके अन्दर वो आत्म शक्ति होती है जिससे हर कार्य को वे सम्भव बना सकतें हैं। गणित की ही सहायता से बड़े-बड़े वैज्ञानिक हुये जिन्होनें हमें आज के युग में प्रयोग होनी वाली वो सारी सुविधाएँ प्रदान की जिनका प्रयोग कर हम अपने जीवन को सरल और आराम दायक बना सके। दुनिया में हर वो व्यक्ति जो आज प्रसिद्ध है उसकी सफलता सिर्फ उसकी अपने द्वारा अपने जीवन में प्रसिद्ध होने के लिये लगायी गयी एक खास गणित होती है। जीवन का आधार है गणित । दुनिया गणित मय है। गणित के बिना हर कार्य अधूरा है। रूप चाहे जैसा हो लेकिन हर कार्य में गणित का प्रयोग आवश्य होता है।
भारत में तो गणित का प्रारम्भ से ही बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। महन्त ऋषि भी गणित का प्रयोग अपने आप में एक खास तरीके से प्रयोग करते थें। हामारे सर्व वेदों शास्त्रों में भी गणित को शिरोमणि माना गया है अर्थात जो सबसे उच्च स्थान पर होता है यह विषय सब विषयों से सर्वोच्च स्थान पर माना जाता है प्रसिद्ध जैन गणितज्ञय महावीराचार्य ने गणित के संदर्भ में कहा है-
बहुभिर्विप्रलापैः किम् त्रैलोक्ये सचराचरे।
यत्किंचिद्वस्तु तस्तवं गणितेन बिना न हि।।
भारतीयों दार्शिनिकों और तत्ववेत्ताओं को भलीभाँति यह तथ्य याद था इसीलिये उन्हों ने प्रारम्भ से ही गणित के विकास पर विश्वाश कर ध्यान दिया। जब अरब और यूरोप में गणित का ज्ञान न के बराबर था उस समय भारत इस क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धियाँ अर्जित कर चुका था।
भारतीय गणित का शुभारम्भ आदिग्रंथ ऋग्वेद से प्रारम्भ होता है। इनको मुख्यतः सात कालखण्डों में बाटा जा सकता है।
1.अदिकाल (500ई.पू.तक)
वैदिक काल(1000 ई.पू.तक)
उत्तर वैदिक काल(1000 ई.पू.से 500 ई.पू.तक)
2.शुल्व एंव वेदांग ज्येति काल
3.सूर्य विज्ञप्ति काल
4.पूर्व मध्य काल
5.मध्य काल अथवा स्वर्णयुग (400ई.से 1200 ई. तक)
6.उत्तर मध्य काल(1200 ई.से 1800 ई.तक)
7.वर्तमान काल (1800ई.के बाद)
मध्यकाल या स्वर्णयुग में आर्यभट्ट,बह्यगुप्त,महावीराचार्य,भास्कराचार्य जैसे अनेक महान एंव श्रेट गणितज्ञ हुये
जिन्होंने गणित की अनेक शाखाओं को जिनका प्रयोग हम आज के युग में कर रहें हैं उनका विस्तृत और स्पट रूप प्रदान किया है। उसको सरल और सहज बनाके जन-साधारण हेतु बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारत ही ने 0 का अविष्कार किया जिससे पूरी दुनिया में बड़े से बड़ा कार्य सम्भव हो सका है।
जिन्होंने गणित की अनेक शाखाओं को जिनका प्रयोग हम आज के युग में कर रहें हैं उनका विस्तृत और स्पट रूप प्रदान किया है। उसको सरल और सहज बनाके जन-साधारण हेतु बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारत ही ने 0 का अविष्कार किया जिससे पूरी दुनिया में बड़े से बड़ा कार्य सम्भव हो सका है।
यदि विद्यार्थी बचपन से ही गणित में मन लगाता है तो उसके लिये सारे विषय सरल हो जाते हैं पर जब तक गणित पूर्ण रूप से समझ में न आ जाये बच्चे पर विषय ध्यान देने की जरूरत होती है। क्योंकि शुरूआत में बच्चों का दिमाग़ एक कोरे काग़ज की तरह होता है जिस पर कुछ भी लिखा जा सकता है। कभी-कभी ऐसा होता है कि कुछ को तो शुरूआत में गणित समझ में नहीं आती लेकिन उन विद्यार्थीयों कि तीव्र इच्छा होती है कि वे गणित पढ़े। लेकिन सिर्फ निराशा ही हाथ लगती है वो चाह कर भी अपनी इच्छा को अपने मन में दबाये और चिंतित रहतें हैं। कुछ तो विद्यार्थी एकदम से ही गणित को किनारे करने लगते हैं और धीरे-धीरे वो गणित से इतने दूर हो जाते हैं कि फिर कभी उसे पाने में सफल नही हो पाते। सारे विषय में गणित सोंचने का अच्छा साधन है और सबसे प्रिय और शांत विषय होता है ।
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गणित विषय व्रह्मण्ड की तरह होता है जिसमे एक बार प्रवेश करने पर नयी-नयी चीजो का ज्ञान प्राप्त होता है तथा गणित समुद्र की तरह होता है जिसमें जो तैरना जान लेता है उसे बहुत ही अच्छा प्रतीत होता है जो नही तैरना जानता उसे चिंतित न होकर सीखना चाहिये। । गणित का कोई अन्त नही होता इसमें जितना भी सोंचो उतना ही कम होता है। गणित के रास्तों पर चलना एक अच्छे विद्यार्थियों,व्यक्तियों की पहचान है। जीवन गणित पर ही आधारित है क्योंकि हर कार्य को करने से पहले प्रत्येक को उस कार्य के बारे में सोंचना जरूर पड़ता है और सोंचने की शक्ति प्रदान करता है गणित।
हमारे भारत में कुछ ऐसे भी हैं जिनको शिक्षा का ज़रा सा भी ज्ञान नही होता फिर भी उनका जीवन किसी भी प्रकार से कट ही जाता है। अपने भारत में जो व्यक्ति ज़रा सा भी नही पढ़ते वो व्यक्ति भी गणित का प्रयोग अपने आम जीवन में करतें हैं। कुछ विद्यार्थी गणित को इतने उँचे स्तर से देखते हैं कि उनको लगता है कि इसे समझना उनके बस की बात नही है लेकिन यदि इस विषय को शुरूआत से छोटे-छोटे स्तर से समझने की कोशिश की जाये तो आगे चलकर राह आसान हो जाती है ।
अक्सर विद्यार्थी गणित से ही डरते हैं लेकिन इसी डर को दूर करने के लिये यदि कोशिश की जाये एक बार नही बार-बार तो उसको खत्म किया जा सकता है क्योंकि डर के आगे ही जीत है। और एक बार विजय पा लेने पर ये विषय इतना प्रिय हो जाता है कि उसे छोड़ने का मन ही नही करता है। जिस प्रकार गिटार के तारों को छेड़ने से उसमें कंपन होता है और एक मधुर ध्वनि निकलती है उसी प्रकार गणित को छेड़ने से मन,दिल ओर मस्तिष्क के तारों में कंपन होता है और दिमाग़ अपना कार्य तीव्र गति से करता है ।
एक व्यक्ति जिसने सारे विषय पढ़े हैं पर गणित नही पढ़ा है और एक दूसरा व्यक्ति जिसने सारे विषयों के साथ गणित भी पढ़ा है दोनो में दूसरे की प्रतिक्रिया तेज़ होती है क्योंकि उसने गणित पढ़ा हैं। सामान्य तौर पर तो लगभग कार्य भर की सबको गणित आती ही है,लेकिन यदि नयी सोंच को पैदा करना हो तो गणित में विशेष जानकरी प्राप्त करनी होगी गणित विषय मस्तिष्क की सारी इंद्रियों को सक्रीय करता है जिससे हर वक्त मस्तिष्क किसी भी कार्य को करने, समझने और उस पर सोंच कर तुरन्त प्रतिक्रिया देने में समर्थ होता है। गणित हमारी सोंचने की शाक्ति को तीव्रता प्रदान करता है। जितना ज्यादा सोंचगें उतनी ही नयी सोंच का जन्म होगा।
गणित मस्तिष्क के सारे तारों को एक साथ छेड़ती है जिससे हमारे मस्तिष्क में नयी नयी तकनीकी और तरीकों का जन्म होता है । चूँकि गणित सोंचने का अच्छा साधन है इसलिए आज के युग में नये-नये अविष्कार हुए हैं जो आप सोंच भी नही सकते लेकिन आज जितने भी साधन हुये वो सब सोंच कर ही हूये हैं और सोंच पैदा होती है गणित को पढ़ने से उस पर अभ्यास करने सें। आज बहु मंजिला इमारत बनी है तो सिर्फ गणित के आधार पर और उनको बनाने वाले हैं इन्जीनियर और उन इन्जीनियरों को बनाती है गणित । हमारे जीवन में जो रोज़ प्रयोग होने वाली छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी वस्तुए हैं उनका आधार है गणित। हर कार्य में प्रयोग होने वाला मात्र एक यही विषय है जो अपने आप में सर्वश्रेष्ठ है। इसलिये विद्यार्थियों को गणित के प्रति विशेष ध्यान देना चाहिये। उनको अपने अध्ययन काल में गणित के प्रति डर को त्याग कर उसे प्रेमपूर्वक स्वीकार करना चाहिये। क्योंकि डर को पार करके ही विजय प्राप्त होती है।
यदि गणित समझ में नही आती तो क्या करें- विद्यार्थियो के लिए सहायक| Mathematics
सर्वप्रथम आप जिस भी कक्षा में हों उस कक्षा की गणित की पुस्तक को अपने मस्तिष्क और आँखों के सीध में रखना चाहिये। खुद को चारो तरफ की बातों से दूर कर मन को शान्त करके अपने अन्दर एक जिज्ञासा भर कर पुस्तक के सामने बैठना चाहिये। सुबह सूर्योदय से पहले उठना सर्वश्रेट होता है।
सर्वप्रथम आप जिस भी कक्षा में हों उस कक्षा की गणित की पुस्तक को अपने मस्तिष्क और आँखों के सीध में रखना चाहिये। खुद को चारो तरफ की बातों से दूर कर मन को शान्त करके अपने अन्दर एक जिज्ञासा भर कर पुस्तक के सामने बैठना चाहिये। सुबह सूर्योदय से पहले उठना सर्वश्रेट होता है।
- पुस्तक के प्रथम पृष्ठ से प्रारम्भ करके पहले उसके लेखक का नाम प्रकाशक का नाम और फिर उसके इन्डेक्स को तथा साथ में वो सब जानकारी जो पहले तीन चार पन्नो में जो भूमिका दी होती है उसे पढ़ना चाहिये। इससे हमे जो कुछ जानकारी प्राप्त होगी वह बहुत ही महत्व पूर्ण होगी जिससे हम अपनी पुस्तक को ठीक प्रकार से पहचान सकेंगे।
- अपने गणित को मजबूत आधार प्रदान करने के लिये उसके इतिहास को एक बार मन से पढ़ लेना चाहिये। इससे मन में गणित पढ़ने की जो इच्छा होती है गणित का इतिहास उस इच्छा में प्रेरक का कार्य करता है।
- प्रथम अध्याय को शुरू करने से पहले उसमें दी हुयी थ्योरी को तब तक पढ़ना चाहिये जब तक पूरी तरह से समझ में न आ जाये। गणित में दी हुयी थ्योरी एक अध्यापक की भूमिका निभाती है।
- प्रत्येक अध्याय के सभी उदाहरण को एक बार नही कई बार पढ़कर उन्हे रफ पर हल करना चाहिये फिर अभ्यास में प्रथम प्रश्न से शुरूआत करना चाहिये एक नयी जिज्ञासा और मन में र्हाेल्लास के साथ ।
- हर प्रश्न को करने से पहले यह देख लेना चाहिये कि इसके समान कोई उदाहरण तो नही है यदि है तो प्रश्न को उसी तरह करना चाहिये जिस प्रकार उदाहरण का हल है। इससे हमे थेड़ी सहायता मिल जाती है। क्योंकि किसी का सहारा बहूत बड़ा साधन होता है।
- गणित के प्रश्नों को हल करते समय जल्दबाजी नही करनी चाहिये उन्हें एक क्रम से हल करना चाहिये।
- गणित के प्रश्नो का प्रारूप चाहे जैसा हो उसे एक बार हल करने की कोशिश जरूर करनी चाहिये । क्योंकि कभी-कभी प्रश्न तो बहुत बड़ा होता है परन्तु उसका हल बहुत ही छोटा होता है ।
- गणित को कभी भी याद करने की कोशिश नही करनी चाहिये। गणित को जितना हो सके हल करना चाहिये।
- यदि गणित के किसी भी अभ्यास में पूरे प्रश्नों का हल आप स्वयं बिना किसी अन्य की सहायता के कर लेते हैं तो अवश्य ही आप सारी गणित बिना किसी सहायता के हल कर लेने में सक्षम होंगें।
- एक बार में उत्तर न आने पर निराश नही होना चाहिये बल्कि उस प्रश्न के पीछे लग जाना चाहिये आखिर में उसका हल अवश्य प्राप्त होगा ।
- शुरूआत में प्रतिदिन कम से कम 20 से 25 प्रश्नो को जो आपको आसान लगे उसे हल करना चाहिये।
- गणित को धीरे-धीरे समझ समझ कर उसके छोटे-छोटे प्रश्नों को हल करना चाहिये।
- गणित में सबसे ज्यादा प्राथमिकता उसमें दिये सूत्रों की होती है इसलिये सूत्रों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। प्रश्नों को हल करते समय सूत्र अपने आप ही याद हो जातें हैं।
- गणित पढ़ते समय यदि आपको संगीत पसन्द है तो बहुत ही अच्छा है संगीत को धीमी आवाज़ में चलाकर गणित के प्रश्नों को हल करने में पूरा ध्यान केन्द्रित होता है ।
- जीवन में हम जिस किसी भी चीज़ से पीछा छुड़ाया करते है वही हर मोंड़ पर सामने आकर खड़ी हो जाती है इसलिये उसको हमेशा के लिये निपटा लेना ही सर्वश्रेट होता हैं।
- समय बलवान होता है लेकिन यदि समय रहते थोड़ा सा धैर्य और मन में आत्मशक्ति जाग्रत करके किसी भी कार्य को करने की ठान ली जाये तो हर काम की राह आसान हो जाती है।
- गणित को हमेशा सरल दृटि से देखना चाहिये। क्योंकि दूर की चीज कुछ और होती है और पास जाने पर उसकी वास्तविकता कुछ और होती है।
- हमेशा खुद पर विश्वास और निर्भर होना चाहिये न कि दूसरों पर कि ये हमें बतायेंगे तब हम ये कार्य कर सकतें है। आखिर हमारे पास भी वही दिमाग़ है जो दूसरों के पास।
- ज्यादा से ज्यादा अपने मस्तिक को अभ्यास के द्वारा प्रेरित करते रहना चाहिये उससे नयी नयी सोंच पैदा होने में सहायता प्राप्त होती है।
- प्रतिदिन नियम बना कर उसे अपने निर्धारित समय से निरन्तर अभ्यास करना चाहिये।
- गणित का प्रत्येक प्रश्न पिछले प्रश्न से कुछ नया होता हैं इस लिये हर प्रश्न को हल करते समय उसमें अपनी रूची को बढ़ाना चाहिये।
- गणित को प्रत्येक दिन अपने आप में एक नये जोश और उत्साह के साथ पढ़ना चाहिये।
- गणित का आधार है अभ्यास अर्थात जितना ज्यादा आप अभ्यास करेंगे उतनी ही ज्यादा आपका वेग गणित के प्रति बढ़ता ही जायेगा।
- यदि आप बहुत ही कमजोर हैं गणित में तो अपनी कक्षा की पुस्तक में जो आपको सबसे सरल लगता हो उसे पहले पढ़ना चाहिये और उस
- पर पूर्ण रूप से विजय हासिल कर लेने के बाद ही आगे बढ़ना चाहिये
- समय कम है या फिर कोर्स ज्यादा है ये सब बातों को छोड़तें हुये किसी एक अभ्यास को ध्यान से पूर्णरूप अपने दिमाग़ को केन्द्रित करके पढ़ना चाहिये।
- गणित को पूरे मन से और रूची लेकर पढ़ना चाहिये तभी यह विष य समझ में आयेगा ।
- गणित का कोई एक रूप नही हो ता है व्यक्ति गणित को अपने कार्य अनुसार किसी रूप में प्रयोग कर सकता है।
- गणित किसी भी कठिन से कठिन समस्या को सरलता से सुलझाने में अति महत्वपूर्ण होती है।
- हर व्यक्ति अपने जीवन में जो भी कार्य करता है उसके पीछे गणित का कुछ अंश ज़रूर होता है।
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