प्रस्तुत है आपके लिए Short Hindi Poems ( लघु हिंदी कवितायेँ ) जो अलग अलग विषयों पर बहुत ही संछिप्त रूप में मेरे द्वारा लिखित हैं। इन कविताओं में जीवन की कुछ अच्छी और सच्ची बातों का समावेश है जो वास्तिवकता को अप्रत्यक्ष रूप से बयां करने का प्रयास करती हैं।
10+ Short Hindi Poems | Hindi Poems | Hindi Kavita | Hindi Poetry |
Short Hindi Poems | हिंदी कवितायेँ
Hindi Poems | मुर्गे की बांग
आओ सुनाए सुबह की एक कहानी
मुर्गे की बांग जो हुई अब पुरानी
अलार्म ने लिया जब से जगाने का काम
मुर्गा भी हो गया अलसी कम पड़ गया इसका नाम
वो बात ही क्या थी जब सूरज उगता था
लोगो के पहले मुर्गा जब उठता था
जब तक जागे न सारे
तब तक ज़िद में अपनी रहता था
बांग अब मुर्गे की सुनता है कौन
उठना है जो अब अपने बस में
अलार्म तो हो जाता जो मौन
Hindi Poems the Farmer किसान
सस्ते कपड़े पहनू आधी रोटी खानी है
करता हूँ मैं खेती तेरी भूक मिटानी है
अन्न बिन न है जीवन का आधार
फिर भी देश का हर किसान है बीमार
करे चाहें जितनी मेहनत न कोई जाने
चिंता है ज्यादा से ज्यादा अन्न उगाने
लोगो को क्यों नही भनक है इसकी
न्यू जनरेशन खेती को भी न पहचाने
अन्न तो है हम इंसानो की मूल जरूरत
फिर क्यों है किसानों की ऐसी मूरत
कभी आंख उठाकर देखो शहर में रहने वालों
जो देता है देश को भोजन वो क्यों ग़रीब है रहता
क्यों जाड़ा है सहता , सूरज की आग में है जलता
कुछ तो मजबूरी होगी वरना किसान न रोता होता
बेवजह ही यूँ आत्महत्या न करता रहता ।
Hindi Poems | मजदूर की कहानी उसकी जबानी
सांझ ढले
अपने घर को निकले
दिनभर तो किया काम मंजूरी
परिवार के संग है समय बिताना
वो भी तो है बहुत जरूरी
मेहनत की रोटी जो तुमने दी भगवन
हँसते हँसते खा लेता हूँ
जितना भी देते हो खुश हूँ इसमे
जीवन उसी में बिता लेता हूँ
Hindi Poems on Childhood माँ के लिए नन्हा बच्चा हूँ
दिखने में सच्चा हूँ
माँ के लिए नन्हा बच्चा हूँ
चुपड़ी रोटी माँ जब देती
खाकर पानी पीता हूँ
चोट लगे गिरने पर तो
गोदी माँ की रोता हूँ
चीटी मर गई चीटी मर गई
माँ जब ऐसा कहती है
दांत चियार के खी खी हँसता हूँ
दिखने में सच्चा हूँ
माँ के लिए नन्हा बच्चा हूँ
Hindi Poem खुद से पूछो
कितना करते हो अपने देश की ख़ातिर
मित्र की ख़ातिर पड़ोसी के साथ
जरूरत पड़ने पर काम जो पहले आते
क्या कभी हम उनके लिए समय गवांते
दिल दुखाया किस किस का ,
काम न आये जिन जिन के
मुख से निकले चुभते शब्द
जो कभी न वापिस आते
किन किन को हैं बोले तुमने
कभी एकांत में जाकर बैठो
खोल दो मन के द्वार झाँक लो एक बार
जिनसे मांगनी है माफी और किनको करना है माफ
दिल पर रख कर हाथ गहराई से सोंचो
मौका जो मिले कभी तो अपने दिल से पूछो
Motivation Hindi Poem | बदलते मौसम के साथ
हम बढ़े और बढ़ाये लोगो को ,करें सब का साथ सब का विकास
खुद को बदले और बदले लोगो को,बदलते मौसम के साथ
सच्चाई की राहों पे जो है चलते,जिनके लिए हैं हम और हमेशा साथ
खुद को बदले और बदले लोगो को,बदलते मौसम के साथ
सींखे और सिंखाये, प्रेम सौहार्द बढ़ाये,ज्ञान का जलता दीपक है सबके पास
खुद को बदले और बदले लोगो को,बदलते मौसम के साथ
नई नई तकनीकी को बढ़कर जाने ,आदर करें सबका और सबको माने
धरती पे जीवो में है मानव सबसे खास,खुद को बदले और बदले लोगो को
बदलते मौसम के साथ
Hindi Poem माया है, दिखावा है
माया है, दिखावा है, झूटी तस्वीरे और छलावा है
समझने वाले समझ गए ,पता है इनको तुमने
पानी मे दूध मिलाया है
सच हो तो सच ही रहना ,उसी में है सहज सरलता
गया जो आज समय , सो न आएगा कल
जीवन के कमजोर समय मे मैंने देखा है
नही आते जब खुशियों के पल
मुश्किल हो जाता है क़ायम रखना
स्टेटस सिम्बल
Hindi Poems On Mother | माँ
प्यारा हाथ सिर पर रखकर
माँ मुझको जगाती सुबह सुबह
कितना भी भागे इधर उधर
माँ मुझको नहलाती सुबह सुबह
सिर पर तेल आँखों मे काजल
माँ मुझको लगाती सुबह सुबह
सीने से लगाकर बाहों में लेकर
माँ मुझको करती प्यार सुबह सुबह
Short Hindi Poems चलना है ज़िन्दगी का नाम
धूप में चलो या छाँव में चलो
चलना है ज़िन्दगी का नाम
मुस्कराना है ज़िन्दगी का नाम
प्यार है ज़िन्दगी का नाम
कांटे हो या हो मील के पत्थर
अपने क़दमो को उठाकर चलो
धूप में चलो या छाँव में चलो
Hindi Poems | हम बड़े क्यों होते
हम बड़े क्यों होते है ?
ताक़ि अपने माता-पिता की सेवा कर सके
अपने से छोटे को सीखा सके
अपने कर्म से लोगो की मदद कर सके
अपने ज्ञान से किसी का भला कर सके
किसी का जीवनसाथी बन कर साथ निभा सके
और अपने परिवार के लिए ढाल बन सके
समाज के लिए प्रेणा बन सके
अपने देश के लिए अच्छे कार्य कर सके
हमारा जो दायित्व है इस संसार मे उसका निर्वाह कर सके
जिंदगी के हर हिस्से को रौशन कर सकें
बड़े होना ईस्वर के द्वारा हमारे लिए बरदान है
कुछ नया करने का खुला आसमान है
अब समझ आया हम बड़े क्यों होते
Hindi Poems मुजरिम है वो
मुजरिम है वो जो तकलीफ़ देता है अपनी माँ को
मुजरिम है वो जो बहस करता है अपने पिता से
मुजरिम है वो जो ईर्ष्या रखता है अपने भाई से
मुजरिम है वो जो झूट बोले अपने मित्र से
मुजरिम है जो किसी के साथ विश्वाशघात करे
मुजरिम है वो जो समाज के प्रति बुरा सोंचे
मुजरिम है वो जो किसी की बेवजह बुराई करें
मुजरिम है वो ,मुजरिम है वो ,मुजरिम है वो
न सजा है और न ही कोई कानून इन मुजरिमो के लिये
बस एक चोट है ,अदृश्य चोट ,जो मिलती है इनको
वो जो मुजरिम है
Hindi Short Poems On Life ये मेरा अस्तित्व है
ये मेरा अस्तित्व है और ये तुम्हारा वजूद है
तुम भी जानते हो हम भी जानते है
ज़िन्दगी जीने का आधार यहीं है
तुम्हारे अपने जिनके बिना न तो
मेरा कोई अस्तित्व है और न ही तुम्हारा कोई वजूद है।
फिर क्यों हम भागते है उस अदृश्य रंग की ओर
जिनमे सिर्फ मिलती है कृत्रिम खुशिया।
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