हिन्दी शायरी । Hindi Shayari Love Sad | शबीह तेरे सिवा कोई पहचाने न | ग़ज़ल | Hindi Gazal शबीह ( तस्वीर ) तेरे सिवा कोई पहचाने न अजब सी कशमकश है ये जाने न लगता नही दिल कहीं ये माने न यादे हैं घुमड़ती जो बड़ा सताती शबीह तेरे सिवा कोई पहचाने न अजीब दास्तां बना इश्क़ हमारा हालाते- रंज किसी को सुनाने न सुलगते अंगारे सीने में दहकने दो दर्द सही पर कोई आये बुझाने न सम्भाल के रखा है मोहब्बत तक दिया तोहफा तेरा कभी भुलाने न कुछ खट्टी कुछ मीठी बातों के ख़त पास में हमारे अमानत हैं जलाने न दूर हुए हम दोनों कसूर था जो तेरा ख़ामोश हुए लब जो अब बताने न आ गया जीना तुमको अब बिन हमारे आबो हवा नही अच्छी लगती अब बिन तुम्हारे लगता है आगया जीना तुमको अब बिन हमारे सिसकियों में गुजरती हर रात नींद को हैं तरसे आँखे खोलती राज दिखाकर अपने दो किनारे हरदम हर घड़ी रहते हो ख्यालों में बड़ी बेदर्दी से वक़्त भी ढाए सितम बस जिंदा हूँ यादों के सहारे नज़र न आता कुछ भी आँखे तरसे एक दीदार को जमी पे रखते क़दम खोजे जहाँ तहाँ अन्धे सि
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