हिन्दी शायरी । Hindi Shayari Love Sad | शबीह तेरे सिवा कोई पहचाने न | ग़ज़ल | Hindi Gazal
शबीह ( तस्वीर ) तेरे सिवा कोई पहचाने न
अजब सी कशमकश है ये जाने न
लगता नही दिल कहीं ये माने न
शबीह तेरे सिवा कोई पहचाने न
हालाते- रंज किसी को सुनाने न
दर्द सही पर कोई आये बुझाने न
दिया तोहफा तेरा कभी भुलाने न
पास में हमारे अमानत हैं जलाने न
ख़ामोश हुए लब जो अब बताने न
आ गया जीना
तुमको अब बिन हमारे
आबो हवा नही अच्छी लगती अब
बिन तुम्हारे
लगता है आगया जीना तुमको अब
बिन हमारे
सिसकियों में गुजरती हर रात
नींद को हैं तरसे
आँखे खोलती राज दिखाकर अपने
दो किनारे
हरदम हर घड़ी रहते हो
ख्यालों में बड़ी बेदर्दी से
वक़्त भी ढाए सितम बस जिंदा
हूँ यादों के सहारे
नज़र न आता कुछ भी आँखे तरसे
एक दीदार को
जमी पे रखते क़दम खोजे जहाँ
तहाँ अन्धे सितारे
ग़म है न ख़ुशी बस बीरान सा मंजर लगता सारा
सोंच के बीते लम्हों की
यादे हर बार दिखते नजारे
जुदा हुए इस क़दर छूटा साथ
जो लगता खालीपन
जलता मन राख हुआ लगती नही अब वैसी बहारे
उम्मीदे न आने की जब दूर
जाना ही था मर्जी तेरी
इस दिल को क्या बताएं जो
आने का रास्ता निहारे
●●●●
मनाने आ गए जश्न मेरी तबाह में
आँखों
के पर्दे नम हैं सूखने की चाह में
फूल
मुरझाए तो बिछ गए कांटे राह में
ज़ीस्ते-रंग
उड़ा लगे दुनिया बेरंग सी ये
भटक गए
ठोकर से जीना है गुमराह में
फलक तक जाने का ख़्वाब टूट चुका
किनारे
बहता हुआ पानी बना बराह में
बिखर गया रत्ती रत्ती तूफ़ा रुकने तक
बटोर
रहे मिट्टी फूटते बोल हैं कराह में
दाग
लगा दामन में तब हालत न देखी
मनाने
आ गए सारे जश्न मेरी तबाह में
गए थे
लाने आसमा महकते फूलों का
समझे न
साज़िश को थे इतने फराह में
●
● ●
हार कर ख़ुश हो लेंगें
ख़ुश
होने दो जीतकर आज उन्हें
हम एक दिन हारकर ख़ुश हो लेंगें ।
देखने दो दुनिया पूरी चलकर उन्हें
हम
अपनी दुनिया मे खुश हो लेंगें ।
दे
देंगें सब वापिस जो है उनको
हम
खाली हाथ होके खुश हो लेंगे ।
ये
जद्दोजहद इतनी मुबारक उनको
हम चोट खाये फिरभी ख़ुश हो लेंगें ।
जोड़ लो अरमान जितने जोड़ सको
हम
टूटे ही ख़्वाब लिए ख़ुश हो लेंगे ।
पा
जाएं पहला औदा भागा - दौड़ में
हम
आख़िरी पायदान पे ख़ुश हो लेंगें ।
बोलने
का हक़ रहने दो उनके पास
हम सुनकर ही अब ख़ुश हो लेंगें ।
महफिलो
में सब साथ बने रहे उनके
हम थे
अकेले समझकर ख़ुश हो लेंगे ।
●
● ●
तन्हाई
अपना पता बता
तन्हाई
ओ तन्हाई
कहाँ
से है तू आई
घर का
तेरा पता बता
है
क्या ? मेरी खता बता
छोड़ के
आऊं तुझको
है
क्या ? वो रस्ता बता
कमजोर
न समझ औरों की तरह
मंडराते
फूलों पर भौरों की तरह
है
मालूम हमे छोड़ गया जो अकेला
जज्बातों
से बख़ूबी हर बार है खेला
बहुत
चाहने वाले थे यहाँ मुझको
अंजान
है अभी पता नही तुझको
दिल
टूटा है प्यार भले ही रूठा
रहने
दे मुझे न तू फ़ायदा उठा
बन
सकती हमदर्द हमारी तो बन
थोड़ा
सकून दे ज्यादा दर्द न बन
●
● ●
© आलोक शर्मा
Comments
Post a Comment
Thanks! for Comment