प्रस्तुत है आपके लिए Short Hindi Poems ( लघु हिंदी कवितायेँ ) जो अलग अलग विषयों पर बहुत ही संछिप्त रूप में मेरे द्वारा लिखित हैं। इन कविताओं में जीवन की कुछ अच्छी और सच्ची बातों का समावेश है जो वास्तिवकता को अप्रत्यक्ष रूप से बयां करने का प्रयास करती हैं।
20 Hindi short poetry | Hindi short poem | Hindi Poems | Hindi Kavita
20 Hindi short poetry | Hindi short poem | Hindi Poems | Hindi Kavita |
अपनी दुनिया में
खुला है चारो ओर,
उड़ते ऊँचे नील गगन में
मग्न हैं पंछी सारे,
अपनी अपनी दुनिया में
फैला है उपवन बाग बगीचे,
घर और आँगन में
फूल हैं खिलते सुंदर,
अपनी अपनी दुनिया में
चलती हवाएँ जब जब,
सुर ताल शांत लहर में
खिल उठती हरयाली,
अपनी अपनी दुनिया में
प्रकृति हो उठती नवजीवित,
बरसे जब जब सावन में
बीज अंकुरण होता रहता,
अपनी अपनी दुनिया में
क्या क्या नहीं बदला इस,
पावन धरती के परिवर्तन में
चन्द्रसूर्य और तारे आज भी हैं,
अपनी अपनी दुनिया में
झूट, कपट, ईर्ष्या और लालच,
जो है केवल इंसानो में
जीव जंतु तो ऐसे ही खुश हैं,
अपनी अपनी दुनिया मे
★ ★ ★ ★ ★
थोड़ा सा इन्तज़ार करो
समय से पहले न हॉसिल होगा,
चाहे लाख जतन करो
राह निरन्तर चलते जाओ,
बस थोड़ा सा इन्तज़ार करो
सब्र का फल मीठा है कर्म करो,
फल की चिंता मत करो
सबकुछ मिलना है जो सोंचा,
बस थोड़ा सा इन्तज़ार करो
लड़ना सीखो कठिन समय में,
सशक्त बनो न बिल्कुल डरो
कट जाएंगे सारे दुःख तकलीफें,
बस थोड़ा सा इन्तज़ार करोसोंचो जो है सपने तुम्हारे और,
उन पर शुरू काम तुरंत करो
हॉसिल ही होगा सबसे बेहतर,
बस थोड़ा सा इन्तज़ार करो
चाहे लाख जतन करो
राह निरन्तर चलते जाओ,
बस थोड़ा सा इन्तज़ार करो
सब्र का फल मीठा है कर्म करो,
फल की चिंता मत करो
सबकुछ मिलना है जो सोंचा,
बस थोड़ा सा इन्तज़ार करो
लड़ना सीखो कठिन समय में,
सशक्त बनो न बिल्कुल डरो
कट जाएंगे सारे दुःख तकलीफें,
बस थोड़ा सा इन्तज़ार करोसोंचो जो है सपने तुम्हारे और,
उन पर शुरू काम तुरंत करो
हॉसिल ही होगा सबसे बेहतर,
बस थोड़ा सा इन्तज़ार करो
★ ★ ★ ★ ★
किरदार निभाने आये हैं
लिया जन्म मानव का,
मानवता फैलाने आये हैं
दुनिया है एक रंगमंच,
यहाँ किरदार निभाने आये हैं
कर्मवीरों की ये भूमि,
सतकर्म ही करने आये हैं
पुतले जीवित मिट्टी के,
यहाँ किरदार निभाने आये हैं
संघर्ष हैं जो जीवन में,
डटकर उनसे लड़ने आये हैं
जीना एक अभिनय है,
यहाँ किरदार निभाने आये हैं
इंसा समझे न अकेला खुद को,
साथ में रहने आये हैं
फर्ज यही हम सबका,
यहाँ किरदार निभाने आये हैं
असत्य का पता नहीं,
सत्य मार्ग पे चलने आये हैं
बंदे हम सब उसके ,
यहाँ किरदार निभाने आये हैं
मृत्यु है अंतिम दर ,
बस कुछ दिन जीने आये हैं
मालूम है फिर भी ,
यहाँ किरदार निभाने आये हैं
दुनिया है एक रंगमंच,
यहाँ किरदार निभाने आये हैं
कर्मवीरों की ये भूमि,
सतकर्म ही करने आये हैं
पुतले जीवित मिट्टी के,
यहाँ किरदार निभाने आये हैं
संघर्ष हैं जो जीवन में,
डटकर उनसे लड़ने आये हैं
जीना एक अभिनय है,
यहाँ किरदार निभाने आये हैं
इंसा समझे न अकेला खुद को,
साथ में रहने आये हैं
फर्ज यही हम सबका,
यहाँ किरदार निभाने आये हैं
असत्य का पता नहीं,
सत्य मार्ग पे चलने आये हैं
बंदे हम सब उसके ,
यहाँ किरदार निभाने आये हैं
मृत्यु है अंतिम दर ,
बस कुछ दिन जीने आये हैं
मालूम है फिर भी ,
यहाँ किरदार निभाने आये हैं
★ ★ ★ ★ ★
अपने दिल से पूछो
कितना करते हो,
अपने देश की ख़ातिर
पड़ोसी के साथ और
मित्र की ख़ातिर
जरूरत पड़ने पर काम जो पहले आते
क्या कभी हम उनके लिए समय गवांते
दिल दुखाया किस किस का
काम न आये जिन जिन के
बोले हैं तुमने किन किन को
मुख से निकले वो चुभते शब्द
जो कभी न वापिस आते
कभी एकांत में जाकर बैठो
और
खोल दो मन के द्वार,
फिर झाँक लो एक बार
किनसे मांगनी है माफी,
और किनको करना है माफ
दिल पर रख कर हाथ,
ज़रा गहराई से सोंचो
मौका जो मिले कभी,
तो अपने दिल से पूछो
अपने देश की ख़ातिर
पड़ोसी के साथ और
मित्र की ख़ातिर
जरूरत पड़ने पर काम जो पहले आते
क्या कभी हम उनके लिए समय गवांते
दिल दुखाया किस किस का
काम न आये जिन जिन के
बोले हैं तुमने किन किन को
मुख से निकले वो चुभते शब्द
जो कभी न वापिस आते
कभी एकांत में जाकर बैठो
और
खोल दो मन के द्वार,
फिर झाँक लो एक बार
किनसे मांगनी है माफी,
और किनको करना है माफ
दिल पर रख कर हाथ,
ज़रा गहराई से सोंचो
मौका जो मिले कभी,
तो अपने दिल से पूछो
★ ★ ★ ★ ★
कलयुग हूँ मैं
कलयुग हूँ मैं
असत्य हूँ मैं सत्य हो गर तुम
कलयुग हूँ मैं मुझसे डरो या
मुझे फ़ॉलो मत करो
बेईमान हूँ मैं ईमान हो गर तुम
कलयुग हूँ मैं मुझसे डरो या
मुझे फ़ॉलो मत करो
फ़रेब हूँ मैं भरोसा हो गर तुम
कलयुग हूँ मैं मुझसे डरो या
मुझे फ़ॉलो मत करो
छल हूँ मैं विस्वाश हो गर तुम
कलयुग हूँ मैं मुझसे डरो या
मुझे फ़ॉलो मत करो
अँधेरा हूँ मैं उजाला गर तुम हो
कलयुग हूँ मैं मुझसे डरो या
मुझे फॉलो मत करो
कलयुग हूँ मैं मुझसे डरो या
मुझे फ़ॉलो मत करो
बेईमान हूँ मैं ईमान हो गर तुम
कलयुग हूँ मैं मुझसे डरो या
मुझे फ़ॉलो मत करो
फ़रेब हूँ मैं भरोसा हो गर तुम
कलयुग हूँ मैं मुझसे डरो या
मुझे फ़ॉलो मत करो
छल हूँ मैं विस्वाश हो गर तुम
कलयुग हूँ मैं मुझसे डरो या
मुझे फ़ॉलो मत करो
अँधेरा हूँ मैं उजाला गर तुम हो
कलयुग हूँ मैं मुझसे डरो या
मुझे फॉलो मत करो
इस संसार में बुराई, काम, क्रोध, लालच, ईर्ष्या, द्वेष ये सभी मनुष्य को आंतरिक व बाह्य रूप से अपनी ओर आकर्षित करते हैं परंतु सर्वप्रथम अपनी ओर आने से पहले आगाह भी करते हैं फिर भी अक्सर कुछ मनुष्य जाने अनजाने में इन सभी का अनुसरण कर अपने प्रकाशमय जीवन को अंधकारमय बनाने की भूल कर बैठता है। जो इन सभी को स्पष्ट रूप से अपने अंदर आने या इनका अनुसरण करने से मना कर देता है वह अपने जीवन को सार्थक करते हुए जीता चला जाता है।
★ ★ ★ ★ ★
समझौता मत करना
बात तुम्हारे इज्जत की,
जब दांव लगाने की कोशिश हो
पीछे हट जाना पर
समझौता मत करना
कठिन समय हो चाहे जितना ,
चुप रह कर सह लेना
खुद पे रखना अटूट भरोसा पर,
आगे हाथ किसी के न फैलाना
सपनो को पूरा करने के लालच में,
पैरो किसी के न गिरना
बात तुम्हारे ईमान को,
गंदा करने की कोशिश हो
पीछे हट जाना पर ,
समझौता मत करना
★ ★ ★ ★ ★
डूब गए वो दरिया में
डूब गए वो दरिया में,
इश्क़ में धोखा खाकर
जान रही निकलने से,
पर लगे किनारे आकर
पीट पीट कर घर वाले,
यहाँ रोएं और चिल्लाएं
खोज बीन कर थक हारे,
और थाने में रपट लिखाएं
क्या मालूम इन कमज़ोर दिल वालो को ,
और कैसे समझ में आये
नाक़ाम रही मरने की कोशिश भी,
अब क्या ? फिर वापिस घर आएं
इश्क़ में धोखा खाकर
जान रही निकलने से,
पर लगे किनारे आकर
पीट पीट कर घर वाले,
यहाँ रोएं और चिल्लाएं
खोज बीन कर थक हारे,
और थाने में रपट लिखाएं
क्या मालूम इन कमज़ोर दिल वालो को ,
और कैसे समझ में आये
नाक़ाम रही मरने की कोशिश भी,
अब क्या ? फिर वापिस घर आएं
★ ★ ★ ★ ★
मैं मानुष इस जगत का
माफ़ी के लायक हूँ गर,
तो कर देना भगवन माफ
प्रकाश हो जीवन का तुम ही,
बिल्कुल है ये साफ
मैं मानुष इस जगत का,
तुमसे ही रचना हुई
हर बार बचा अनहोनी से,
साथ कई घटना हुई
मार्ग दिखाए कितने पर,
बुद्धि मेरी ही भ्रष्ट हुई
सुख में भूल गया मैं क्यों,
दुःख में तेरी याद हुई
देखा जब मन आँखों से,
तब दिखे तेरे रूप कई
नादानी थी मेरी जो,
हमसे पहचानने में भूल हुई
तो कर देना भगवन माफ
प्रकाश हो जीवन का तुम ही,
बिल्कुल है ये साफ
मैं मानुष इस जगत का,
तुमसे ही रचना हुई
हर बार बचा अनहोनी से,
साथ कई घटना हुई
मार्ग दिखाए कितने पर,
बुद्धि मेरी ही भ्रष्ट हुई
सुख में भूल गया मैं क्यों,
दुःख में तेरी याद हुई
देखा जब मन आँखों से,
तब दिखे तेरे रूप कई
नादानी थी मेरी जो,
हमसे पहचानने में भूल हुई
★ ★ ★ ★ ★
ऐ ज़िन्दगी तेरे लिए
क्या क्या करना रहगया बाकी,
बस इतना बता दे
बहुत भटक लिया गुमनामी में,
ऐ ज़िन्दगी तेरे लिए
जाना है कहाँ सपनो की ख़ातिर,
बस वो राह दिखादे
दर दर झुकाया सिर ग़ैरों के आगे,
ऐ ज़िन्दगी तेरे लिए
हिम्मत है अब भी अंदर बस ,
थोड़ी सी और बढ़ा दे
बिना रूके निरंतर चलता रहा,
ऐ ज़िन्दगी तेरे लिए
मिल जाये थोड़ी सी खुशी बस,
उमीदों के दीप जलादे
काटे हैं हमने भी दिनरात आफ़त गर्दिश में,
ऐ ज़िन्दगी तेरे लिए
बस इतना बता दे
बहुत भटक लिया गुमनामी में,
ऐ ज़िन्दगी तेरे लिए
जाना है कहाँ सपनो की ख़ातिर,
बस वो राह दिखादे
दर दर झुकाया सिर ग़ैरों के आगे,
ऐ ज़िन्दगी तेरे लिए
हिम्मत है अब भी अंदर बस ,
थोड़ी सी और बढ़ा दे
बिना रूके निरंतर चलता रहा,
ऐ ज़िन्दगी तेरे लिए
मिल जाये थोड़ी सी खुशी बस,
उमीदों के दीप जलादे
काटे हैं हमने भी दिनरात आफ़त गर्दिश में,
ऐ ज़िन्दगी तेरे लिए
★ ★ ★ ★ ★
मंजिल की चाहत
मंजिल की चाहत में
न जाने कहाँ भटक गए
निकले थे जोश में
निकले थे जोश में
पर रास्ते मे ही अटक गए
कई तो चलते रहे,
कई तो चलते रहे,
कईयों ने तो चाहत ही छोड़ दी
मंजिल न मिलने पर
मंजिल न मिलने पर
कईयों ने ज़िन्दगी ही मोड़ दी
जो डटे रहे आख़िर दम तक
जो डटे रहे आख़िर दम तक
मंजिल पाने के लिए
प्रेरणा बन गए स्वयं
प्रेरणा बन गए स्वयं
इस दुनिया मे औरो के लिए
★ ★ ★ ★ ★
सोचते तो है मगर
सोचते तो है मगर
जाना है किस डगर
हर सुबह तो है नई
पर शाम ए वही शहर
भीड़ से तो भरा है नगर
पर खाली है मन का घर
जादू है दुनिया माया मई
गुरदा है फिर भी लागे डर
चंचल चितवन जो भागे इधर -उधर
मिलती है कहीं क्यों शांत नहीं, ठहर
स्थूल पड़ा रहेगा, दिन बीते जो कई
हर्ष है पलभर का जीले हर घड़ी हर पहर
जाना है किस डगर
हर सुबह तो है नई
पर शाम ए वही शहर
भीड़ से तो भरा है नगर
पर खाली है मन का घर
जादू है दुनिया माया मई
गुरदा है फिर भी लागे डर
चंचल चितवन जो भागे इधर -उधर
मिलती है कहीं क्यों शांत नहीं, ठहर
स्थूल पड़ा रहेगा, दिन बीते जो कई
हर्ष है पलभर का जीले हर घड़ी हर पहर
★ ★ ★ ★ ★
इतना तो कर सकते हैं।
झूट न बोलें अपने आप से,
सच के साथ चलते रहें
हूँ मैं जो वास्तव में अपने अंदर,
बाहर वही दिखते रहें
कुछ पलों की तो है ये ज़िन्दगी
क्यों रोयें हँस कर भी तो जी सकते है
हवा में नहीं सही पर,
पैदल तो चल सकते है
रोज न सही अपनो से,
पर कभी तो मिल सकते हैं
जो है हमारे पास जरूरत है जिसको,
पूरा न सही पर कुछ तो दे सकते हैं
खुशी मिले लोगो को हमसे गर,
यदा कदा जोकर तो बन सकते हैं
क्या है हमारा और न ले जा पाएंगे
सुख में न सही पर,
दुख में तो रह सकते हैं
क्या हम इतना कर सकते है ?
हाँ हम, इतना तो कर सकते हैं।
सच के साथ चलते रहें
हूँ मैं जो वास्तव में अपने अंदर,
बाहर वही दिखते रहें
कुछ पलों की तो है ये ज़िन्दगी
क्यों रोयें हँस कर भी तो जी सकते है
हवा में नहीं सही पर,
पैदल तो चल सकते है
रोज न सही अपनो से,
पर कभी तो मिल सकते हैं
जो है हमारे पास जरूरत है जिसको,
पूरा न सही पर कुछ तो दे सकते हैं
खुशी मिले लोगो को हमसे गर,
यदा कदा जोकर तो बन सकते हैं
क्या है हमारा और न ले जा पाएंगे
सुख में न सही पर,
दुख में तो रह सकते हैं
क्या हम इतना कर सकते है ?
हाँ हम, इतना तो कर सकते हैं।
★ ★ ★ ★ ★
वो ही दोस्त होते हैं
खाली हाथ इंसान यहाँ है आता,
इस सुंदर जग में
समय समय पर मिलते जो तौफे,
समय समय पर मिलते जो तौफे,
वो ही दोस्त होते हैं
छल कपट द्वैष की भावना
छल कपट द्वैष की भावना
न हो जिसके अंदर
निः स्वार्थ भाव से साथ मे है जो,
निः स्वार्थ भाव से साथ मे है जो,
वो ही दोस्त होते हैं
सही राह दिखाना और
सही राह दिखाना और
सच्चाई को ही बताना
स्वार्थ न है कोई जिनके अंदर,
स्वार्थ न है कोई जिनके अंदर,
वो ही दोस्त होते हैं
बुरा लगे फिर भी चाहे
बुरा लगे फिर भी चाहे
साफ़ जो बात मुह पर कहते
उलझन में मीठे बीमारी में जो कड़वे,
उलझन में मीठे बीमारी में जो कड़वे,
वो ही दोस्त होते हैं
चर्चा परिचर्चा जिनके साथ मे
चर्चा परिचर्चा जिनके साथ मे
है करना अच्छा लगता
वक्त पड़े हम जिनको पहले हैं बुलाते,
वक्त पड़े हम जिनको पहले हैं बुलाते,
वो ही दोस्त होते हैं
उदास हो मन और दिल लगने लगे
उदास हो मन और दिल लगने लगे
जब भारी भारी सा
एक जादू की झप्पी दे जाते प्यार भरी,
एक जादू की झप्पी दे जाते प्यार भरी,
वो ही दोस्त होते हैं
★ ★ ★ ★ ★
इज़्हार हो न पाया
11 वीं क्लास की पहली शीट पर,
एक चेहरा जो मन भाया
2 साल गुजर गए नज़रो में पर,
मौक़ा हाथ कभी वो न आया
डर न जाने किस बात का,
हिम्मत भी कई बार जुटाया
कह दिया होता उस दिन गर ,
चपरासी ने न होता घंटा बजाय
पैसा अफसोस नहीं पर पछतावा था,
जो यूँ फर्जी में समय गवांया
फ़ेल हुए सो हुए चक्कर मे,
पापा से मार अलग जो खाया
छोड़ दिया इन सबका चक्कर
पर आँखों मे वो चेहरा अब भी समाया
किससे कहें और कैसे बताये
दिल की बात दिल मे रही
जो कभी कह न पाया
मिले जब एक दिन साथ,
वो अपने हमदम के,
आँख से आँसू निकल गए बेदर्दी से,
और दिल भी बहुत पछताया
सहमे लबों से बोले जब नज़रे उठाकर
प्यार बहुत था गहरा मुझे भी,
पर तुमसे इज़्हार हो न पाया
एक चेहरा जो मन भाया
2 साल गुजर गए नज़रो में पर,
मौक़ा हाथ कभी वो न आया
डर न जाने किस बात का,
हिम्मत भी कई बार जुटाया
कह दिया होता उस दिन गर ,
चपरासी ने न होता घंटा बजाय
पैसा अफसोस नहीं पर पछतावा था,
जो यूँ फर्जी में समय गवांया
फ़ेल हुए सो हुए चक्कर मे,
पापा से मार अलग जो खाया
छोड़ दिया इन सबका चक्कर
पर आँखों मे वो चेहरा अब भी समाया
किससे कहें और कैसे बताये
दिल की बात दिल मे रही
जो कभी कह न पाया
मिले जब एक दिन साथ,
वो अपने हमदम के,
आँख से आँसू निकल गए बेदर्दी से,
और दिल भी बहुत पछताया
सहमे लबों से बोले जब नज़रे उठाकर
प्यार बहुत था गहरा मुझे भी,
पर तुमसे इज़्हार हो न पाया
★ ★ ★ ★ ★
दुनिया इतनी सरल नहीं
दुनिया इतनी सरल नहीं जो नज़र आये
अक्सर नए राही को दूर के ही डोल सुहाए
बड़ो की बातों का अब वो सम्मान रहा कहाँ
उल्टी ज़ुबाँ कैंची जैसी, माँ-बाप को सिखाए
दर्द तो होगा ही जब मारोगे पैर पे अपने कुल्हाड़ी
ज़िद में रहते अपनी धुन में सही राह कैसे दिखाए
नहीं है कोई मार्ग लघू, ऊँची चट्टानों पे चढ़ने का
अड़ियल बुद्धि ठोकर खाकर, वापिस लौट आये
जोश-उमंग है भरी कूट कूट कर जो अंदर तक
तोड़ हैं देती जर्रा जर्रा कठिन स्थिती जब आये
लगी है ठोकर जब, मुँह के बल गिर कर चले आये
खुद ही इतने जानिसकार थे तो कौन तुम्हे समझाए
दुनिया इतनी सरल नहीं जो नज़र आये
अक्सर नए राही को दूर के ही डोल सुहाए
अक्सर नए राही को दूर के ही डोल सुहाए
बड़ो की बातों का अब वो सम्मान रहा कहाँ
उल्टी ज़ुबाँ कैंची जैसी, माँ-बाप को सिखाए
दर्द तो होगा ही जब मारोगे पैर पे अपने कुल्हाड़ी
ज़िद में रहते अपनी धुन में सही राह कैसे दिखाए
नहीं है कोई मार्ग लघू, ऊँची चट्टानों पे चढ़ने का
अड़ियल बुद्धि ठोकर खाकर, वापिस लौट आये
जोश-उमंग है भरी कूट कूट कर जो अंदर तक
तोड़ हैं देती जर्रा जर्रा कठिन स्थिती जब आये
लगी है ठोकर जब, मुँह के बल गिर कर चले आये
खुद ही इतने जानिसकार थे तो कौन तुम्हे समझाए
दुनिया इतनी सरल नहीं जो नज़र आये
अक्सर नए राही को दूर के ही डोल सुहाए
★ ★ ★ ★ ★
बचपन मे जाना चाहता हूँ
मैं वापिस अपने उस बचपन मे जाना चाहता हूँ
भूल गया हँसना जो मुस्कान वो पाना चाहता हूँ
कुछ परेशान सा रहता है दिल न जाने क्यों
न चिन्ता न फिक्र वो सकूँन पाना चाहता हूँ
भाग-दौड़ की लाइफ में दोस्त भी हैं रहते सारे व्यस्त
फुरसती नटखट नन्हे मित्रों से बस मिलना चाहता हूँ
भीड़ है चारो तरफ लोगो की फिर भी क्यों अकेला हूँ
बस मम्मी पापा के संग मे वैसा मेला घूमना चाहता हूँ
मनोरंजन के साधन कई यहाँ, पर व्यर्थ हैं सारे के सारे
रंगीले मन को लुभाते उन खिलौनों से खेलना चाहता हूँ
क्या खाना है क्या है पीना बीमारी के हुए लक्षण हज़ार
माँ जो खिलाती अम्रत हो जाता बस वो खाना चाहता हूँ
अब काम से फुर्सत ही नहीं मिलती, रोटी जो है चलानी
स्कूल की वो छुट्टी में दादी, नानी के घर जाना चाहता हूँ
मैं वापिस अपने उस बचपन मे जाना चाहता हूँ
भूल गया हँसना जो मुस्कान वो पाना चाहता हूँ
भूल गया हँसना जो मुस्कान वो पाना चाहता हूँ
कुछ परेशान सा रहता है दिल न जाने क्यों
न चिन्ता न फिक्र वो सकूँन पाना चाहता हूँ
भाग-दौड़ की लाइफ में दोस्त भी हैं रहते सारे व्यस्त
फुरसती नटखट नन्हे मित्रों से बस मिलना चाहता हूँ
भीड़ है चारो तरफ लोगो की फिर भी क्यों अकेला हूँ
बस मम्मी पापा के संग मे वैसा मेला घूमना चाहता हूँ
मनोरंजन के साधन कई यहाँ, पर व्यर्थ हैं सारे के सारे
रंगीले मन को लुभाते उन खिलौनों से खेलना चाहता हूँ
क्या खाना है क्या है पीना बीमारी के हुए लक्षण हज़ार
माँ जो खिलाती अम्रत हो जाता बस वो खाना चाहता हूँ
अब काम से फुर्सत ही नहीं मिलती, रोटी जो है चलानी
स्कूल की वो छुट्टी में दादी, नानी के घर जाना चाहता हूँ
मैं वापिस अपने उस बचपन मे जाना चाहता हूँ
भूल गया हँसना जो मुस्कान वो पाना चाहता हूँ
★ ★ ★ ★ ★
मैं हारा नहीं
मैं हारा नहीं बस थोड़ा मायूस हुआ
जीवन की कुछ तकलीफों से जो घिर गया
मैं गिरा नहीं बस थोड़ा महसूस हुआ
जीवन की कुछ अड़चनों से जो भिड़ गया
राहें बदली कितनी पर जीवन है वही
अभी समय शायद मेरे अनुकूल नहीं
मैं रोया नहीं बस थोड़ा दुःख हुआ
रुकावट की कुछ दीवारों से जो लड़ गया
मैं जाना नहीं बस थोड़ा आभास हुआ
अपनो के कुछ उम्मीदों से जो भर गया
मैं हारा नहीं बस थोड़ा मायूस हुआ
जीवन की कुछ तकलीफों से जो घिर गया
मैं गिरा नहीं बस थोड़ा महसूस हुआ
जीवन की कुछ अड़चनों से जो भिड़ गया
राहें बदली कितनी पर जीवन है वही
अभी समय शायद मेरे अनुकूल नहीं
मैं रोया नहीं बस थोड़ा दुःख हुआ
रुकावट की कुछ दीवारों से जो लड़ गया
मैं जाना नहीं बस थोड़ा आभास हुआ
अपनो के कुछ उम्मीदों से जो भर गया
मैं हारा नहीं बस थोड़ा मायूस हुआ
★ ★ ★ ★ ★
बहुत तकलीफ़ होती है।
दुःख में होते बच्चे जब
एक माँ को, बहुत तकलीफ़ होती है।
बेटा/बेटी देने लगे जवाब, जब
एक पिता को, बहुत तकलीफ़ होती।
सफ़र में आधी दूर पहुँच गए, अब
वापिस आने में, बहुत तकलीफ़ होती है।
उम्र गवाईं पढ़ते पढ़ते, अब
नौकरी मिलने में, बहुत तकलीफ़ होती है
नेकी करली मन से कई लोगो के साथ
बुराई है मिलती तब, बहुत तकलीफ़ होती है।
समय गवांकर कितना अपना खोया
समय पे काम न आये कोई तब, बहुत तकलीफ़ होती है।
ख़ून पसीना बहाकर, दिन रात है जिसने मेहनत की
फल न मिले जो मेहनत का, बहुत तकलीफ़ होती है।
10 की शीट 100 आ जाये, जब
हर यात्री को, बहुत तकलीफ़ होती है।
समय खत्म डॉक्टर उठ जाएं, जब
बीमार मरीजों को बहुत तकलीफ़ होती है।
घर में आये दिन झगड़े हो, जब
एक पड़ोसी को बहुत तकलीफ़ होती है।
जिगरी मित्र करने लगे गद्दारी, जब
एक मित्र को, बहुत तकलीफ़ होती है।
प्रेम में होने लगे बेवफ़ाई, जब
एक प्रेमी को, बहुत तकलीफ़ होती है।
एक माँ को, बहुत तकलीफ़ होती है।
बेटा/बेटी देने लगे जवाब, जब
एक पिता को, बहुत तकलीफ़ होती।
सफ़र में आधी दूर पहुँच गए, अब
वापिस आने में, बहुत तकलीफ़ होती है।
उम्र गवाईं पढ़ते पढ़ते, अब
नौकरी मिलने में, बहुत तकलीफ़ होती है
नेकी करली मन से कई लोगो के साथ
बुराई है मिलती तब, बहुत तकलीफ़ होती है।
समय गवांकर कितना अपना खोया
समय पे काम न आये कोई तब, बहुत तकलीफ़ होती है।
ख़ून पसीना बहाकर, दिन रात है जिसने मेहनत की
फल न मिले जो मेहनत का, बहुत तकलीफ़ होती है।
10 की शीट 100 आ जाये, जब
हर यात्री को, बहुत तकलीफ़ होती है।
समय खत्म डॉक्टर उठ जाएं, जब
बीमार मरीजों को बहुत तकलीफ़ होती है।
घर में आये दिन झगड़े हो, जब
एक पड़ोसी को बहुत तकलीफ़ होती है।
जिगरी मित्र करने लगे गद्दारी, जब
एक मित्र को, बहुत तकलीफ़ होती है।
प्रेम में होने लगे बेवफ़ाई, जब
एक प्रेमी को, बहुत तकलीफ़ होती है।
★ ★ ★ ★ ★
वक्त खरीद लो
वक्त खरीद लो आज
हो सकता है बहुत सस्ता पड़े
भागदौड़ की ज़िंदगी में
भागदौड़ की ज़िंदगी में
कल शायद बहुत महंगा पड़े
रफ़्तार दुनिया की दिन पर दिन
रफ़्तार दुनिया की दिन पर दिन
देखो कितनी बढ़ रही
टर्बो चार्जर है जिसके पास
टर्बो चार्जर है जिसके पास
उसी में तेज़ बैटरी चढ़ रही
भाग सको तो भागो तेज़,
भाग सको तो भागो तेज़,
इस दुनिया मे सबके साथ
वर्ना घर मे बैठो बेगारीउल्फ़त में
वर्ना घर मे बैठो बेगारीउल्फ़त में
हाथ पे रख कर हाथ
जीवन है सिर्फ़ कुछ ही दिनों का
जीवन है सिर्फ़ कुछ ही दिनों का
स्मार्ट 3d गेम, अच्छे से खेलो
हम तुम हैं कैरेक्टर इसके,
हम तुम हैं कैरेक्टर इसके,
जितने टास्क मिले उन सबको झेलो
जितना जीते उतना हर एक कठिन
जितना जीते उतना हर एक कठिन
घर आगे ही पहुँचना है
रिस्क लेते रहो और बढ़ते रहो
रिस्क लेते रहो और बढ़ते रहो
वैसे भी एक दिन वोवर होना है
★ ★ ★ ★ ★
आँखों मे जो सपने हैं
जिनसे न था नाता पहले, अब वो अपने हैं
पूरा करने निकले हैं, आँखों मे जो सपने हैं
राहों में हैं काँटे इतने, जिनपर चलना अब है
हाथों का ही सहारा है, गिर कर संभलना जब है
खुले आसमां से देखा, अवसर कितने हैं
पूरा करने निकले हैं, आँखों मे जो सपने हैं
बाते जितनी थी जीवन मे, अब वो पुरानी हैं
भूल चुके ग़म-ए-लम्हो को, बस कुछ कहानी हैं
कोई साथ रहे या न रहे, आँसू अब न बहने हैं
पूरा करने निकले हैं, आँखों मे जो सपने हैं
वादे जो थे खुद से, बारी अब निभाना है
उम्मीदों के मुरझाये दीपक, अब जलाना हैं
रौंद चुके अरमानो को, दुःख अब न सहने है
पूरा करने निकले हैं, आँखों मे जो सपने हैं
कमज़ोर दीवारे हिम्मत की, जड़लौह बनानी है
जीवन जटिल हो कितना, नौका पार लगानी है
हवा के झोंको को है सहना, पत्ते अब न गिरने हैं
पूरा करने निकले हैं, आँखों मे जो सपने हैं
मार्ग बनाये पक्के सच के, उजयारें ही दर्शन हैं
क्रोध, द्वैष, मोह और माया, सम्मुख सब दर्शक हैं
कठिन रास्ते अपने, मंजिल तक फूल बिछाने है
पूरा करने निकले हैं, आँखों मे जो सपने हैं
जिनसे न था नाता पहले अब वो अपने हैं
पूरा करने निकले हैं, आँखों मे जो सपने हैं
पूरा करने निकले हैं, आँखों मे जो सपने हैं
राहों में हैं काँटे इतने, जिनपर चलना अब है
हाथों का ही सहारा है, गिर कर संभलना जब है
खुले आसमां से देखा, अवसर कितने हैं
पूरा करने निकले हैं, आँखों मे जो सपने हैं
बाते जितनी थी जीवन मे, अब वो पुरानी हैं
भूल चुके ग़म-ए-लम्हो को, बस कुछ कहानी हैं
कोई साथ रहे या न रहे, आँसू अब न बहने हैं
पूरा करने निकले हैं, आँखों मे जो सपने हैं
वादे जो थे खुद से, बारी अब निभाना है
उम्मीदों के मुरझाये दीपक, अब जलाना हैं
रौंद चुके अरमानो को, दुःख अब न सहने है
पूरा करने निकले हैं, आँखों मे जो सपने हैं
कमज़ोर दीवारे हिम्मत की, जड़लौह बनानी है
जीवन जटिल हो कितना, नौका पार लगानी है
हवा के झोंको को है सहना, पत्ते अब न गिरने हैं
पूरा करने निकले हैं, आँखों मे जो सपने हैं
मार्ग बनाये पक्के सच के, उजयारें ही दर्शन हैं
क्रोध, द्वैष, मोह और माया, सम्मुख सब दर्शक हैं
कठिन रास्ते अपने, मंजिल तक फूल बिछाने है
पूरा करने निकले हैं, आँखों मे जो सपने हैं
जिनसे न था नाता पहले अब वो अपने हैं
पूरा करने निकले हैं, आँखों मे जो सपने हैं
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अलोक शर्मा [ Writer]
alok5star@gmail.com
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