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Article in Hindi - Man's stubborn Nature | उजड्डता

मनुष्य का जिद्दी स्वभाव किसी भी तरह से अच्छा नहीं है। Man's stubborn nature is not good in any way वह व्यक्ति जो बिना सोंचे समझे बगैर जाने बूझे किसी कार्य को करने के लिए तैयार हो जाता है ,और मना करने पर क्रोधित हो जाता है उजड्डता की श्रेणी में आ जाता है। दूसरे शब्दों में किसी भी कार्य में जल्दबाजी करना, बगैर उसके सकारात्मक या नकरात्मक पहलू को देखे बिना कूद पड़ना आदि उज्जड् होने के लक्षण हैं। ऐसे जिस किसी भी व्यक्ति में धैर्य की कमी है वो उज्जडता का शिकार हो सकता है । और सफल बनाने के लिए धैर्य का होना आवश्यक है । 
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 Article in Hindi - Man's stubborn Nature | उजड्डता
 Article in Hindi - Man's stubborn Nature | उजड्डता

सफ़लता निरंतर स्वैक्षित उद्देश्य के प्रति ईमानदारी से सकारात्मक दिशा में कार्य करने से ही मिल सकती है न कि आज ही चलना शुरू किया और मंजिल मिल गयी। जल्दबाजी में कई बार काम बिगड़ने की संभावना रहती है। ये एक ऐसी प्रवृति है जो विनाश का कारण भी बन सकती है ।
इसके इलावा उज्जडता से व्यक्ति का स्वभाव ज़िद्दी होने लगता है वह अपने सिवा किसी और की सुनने में अक्षम हो जाता है। अपने ही धुन में रहना एक आदत सी बन जाती है। दुसरे के कामो में टांग लड़ना और अपनी बात को जबरन दूसरों पर थोपना उसका कार्य बन जाता है । और एक नकारात्मक कला का विकास होने लगता है जो सही नही है । बुद्धि जड़ हो जाती है और अनियंत्रित अनियमित सिद्धान्तों का समावेश मस्तिष्क में स्वतः होने लगता है ।
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समाज मे इस प्रकार के व्यक्तियों को लोगो के बीच कम ही जगह मिल पाती है। क्योंकि जब तक हम और आप एक दूसरे की भावनाओ की कद्र ही नही करेंगे उनको समझने का प्रयास ही नही करेंगे तब तक समाज मे घुल- मिल नही सकते। यहाँ तक परिवार के बाकी सदस्य भी स्वीकार नही करते। अकारण ही झगड़ा कर बैठना, बेवजह किसी अनावश्यक कार्य को करते रहना , अपनी तरीके से ही जबरन कार्य करवाना भले ही वो सही न हो आदि इस प्रकार के कर्म अवनति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते है। 

इंसान का ज़िद्दी स्वभाव का होना किसी भी प्रकार से ठीक नही है 

इससे परिवार में आपसी मतभेद , कलह ,मनमुटाव, द्वेष की भावना समाज से अलगाव आदि का उत्पन्न होना स्वाभाविक है। इसके इलावा धन संबंधित कार्यो में रुकावट के कारण जीवनयापन में काफी कठिनायों का सामना करना पड़ता है। साथ ही साथ प्रगति मार्ग भी बाधित होने लगता है। जीवन का सफर दिशाविहीन होने लगता है। अपनो के बीच ही शत्रु जैसा व्यवहार होने लगता है।  
समाज मे  कुछ लोग अपने आप में बहुत शक्तिशाली मालूम पड़ते हैं। सामने वाले से जरा सी गलती भी हुई फिर क्या शुरू, आ गए ताव में ,क्योंकि बर्दास्त करने से इंसान छोटा हो जाता है, क्षमा क्या होती है कौन है ये भी नही पता कुल मिलाकर कोई किसी से कम नही वाली बात है । और ये सभी को पता है की लेकर कुछ नही जाना जो है यहीं रह जायेगा उसके बावजूद इस प्रकार की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। 
सभी को पता है कि क्रोध से कुछ भी नही हॉसिल होता सिवाय विनाश के फिर भी इसका कोई इलाज नही । 

यदि जीवन मे किसी मुख्य उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सकरात्मक सोंच के साथ मार्ग पर चलने की उज्जडता है तो ठीक है क्योंकि यहां पर उज्जडता आत्मविश्वाश के रूप में होती है। परंतु उसका भी नियंत्रण में होना आवश्यक है । 

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