जरूरी नहीं की आप क्या सोंचते रहते हैं हर समय बल्कि जरूरी ये है कि आप जो सोंच में डूबे रहते हैं हर वक्त वह उसमे ऐसा क्या है जो आपको हर समय सोंचते रहने में मजबूर करता है । Hindi Article Thinking | सोचना एक अच्छी आदत है में अपनी सोंचने के तरीकेको पर विचार करेंगे।
How to Think big and positive| सोचना एक अच्छी आदत है
सोंच में भी कई प्रकार है
जितने लोग उतने प्रकार की सोंच तब तो बहुत कम ऐसा देखने को मिला है कि दो लोग एक तरह की सोंच रखते हों या एक समय पर दो लोग एक ही हिस्से पर एक ही प्रकार से सोंच रहे हों, कुल मिलाकर सोनशाना की ऐसी प्रक्रिया है जो इंसानो का मूलतत्व है और ये मूलतत्व सभी का अलग अलग होता है। कभी कभी ऐसा भी होता है कि कई लोग मिलकर एक पहलू पर सोंचते है लेकिन फिर भी उनके सोंचने का तरीका अलग ही होगा क्योंकि एक समय मे एक जैसा सोंशान सभी का नामुमकिन है।
हर समय • सोंचते है
यदाक कभी कभार ऐसा हो जाता है कि सामने वाला जो सोंच रहा है वह हम भी है। लेकिन ऐसा कभी कभार होता है। दूसरा पहलू ये भी ही कि आप हर समय अगर सोंचते है तो वो सकारात्मक है या नकारात्मक है ये आपके ऊपर निर्भर है आपको भी पता है सकारत्मक सोंच आपको एक बहेतर ज़िन्दगी के रास्ते पर ले जाता है और नकारात्मक सोंची हमेशा ज़िन्दगी में पीछे ले जाती है। ।
फैसला आप करें।
आप सोंचिए हर कब सोंचिए बस ये ध्यान रहे आपके सोंचने का नज़रिया आपकी सकारत्मक मंजिल ही होगा। जब मौका भी मिला तब सोंचिए, खुल कर सोंचिए मैं तो कहता हूँ सोंचने के लिए समय निर्धारित रहता है और अपने आप को सोंचने के लिए प्रेरित करते रहें ताकि उसमे औए गहराई आ सके।
अपने मस्तिष्क से सोंशन अर्थात अपने मस्तिष्क को बेहतर बनाए रखने का एक अच्छा साधन है। बस कभी चिंता न करे बल्कि चिंतन करे वो भी सकारात्मक पहलु पर। लाइफ में कुछ भी सही हो या गलत सब आपके पास्ट में सोंच का भविष्य में प्रतिफल होता है। भले ही आपको इसका एहसास हो या न हो। लेकिन जब आपकी सोंच सटीक हो जाती है सकरात्मक दिशा में सोंचती है तो परिणाम बेहतर ही होते हैं।
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सोंच में भी कई प्रकार है
जितने लोग उतने प्रकार की सोंच तब तो बहुत कम ऐसा देखने को मिला है कि दो लोग एक तरह की सोंच रखते हों या एक समय पर दो लोग एक ही हिस्से पर एक ही प्रकार से सोंच रहे हों, कुल मिलाकर सोनशाना की ऐसी प्रक्रिया है जो इंसानो का मूलतत्व है और ये मूलतत्व सभी का अलग अलग होता है। कभी कभी ऐसा भी होता है कि कई लोग मिलकर एक पहलू पर सोंचते है लेकिन फिर भी उनके सोंचने का तरीका अलग ही होगा क्योंकि एक समय मे एक जैसा सोंशान सभी का नामुमकिन है।
हर समय • सोंचते है
यदाक कभी कभार ऐसा हो जाता है कि सामने वाला जो सोंच रहा है वह हम भी है। लेकिन ऐसा कभी कभार होता है। दूसरा पहलू ये भी ही कि आप हर समय अगर सोंचते है तो वो सकारात्मक है या नकारात्मक है ये आपके ऊपर निर्भर है आपको भी पता है सकारत्मक सोंच आपको एक बहेतर ज़िन्दगी के रास्ते पर ले जाता है और नकारात्मक सोंची हमेशा ज़िन्दगी में पीछे ले जाती है। ।
फैसला आप करें।
आप सोंचिए हर कब सोंचिए बस ये ध्यान रहे आपके सोंचने का नज़रिया आपकी सकारत्मक मंजिल ही होगा। जब मौका भी मिला तब सोंचिए, खुल कर सोंचिए मैं तो कहता हूँ सोंचने के लिए समय निर्धारित रहता है और अपने आप को सोंचने के लिए प्रेरित करते रहें ताकि उसमे औए गहराई आ सके।
अपने मस्तिष्क से सोंशन अर्थात अपने मस्तिष्क को बेहतर बनाए रखने का एक अच्छा साधन है। बस कभी चिंता न करे बल्कि चिंतन करे वो भी सकारात्मक पहलु पर। लाइफ में कुछ भी सही हो या गलत सब आपके पास्ट में सोंच का भविष्य में प्रतिफल होता है। भले ही आपको इसका एहसास हो या न हो। लेकिन जब आपकी सोंच सटीक हो जाती है सकरात्मक दिशा में सोंचती है तो परिणाम बेहतर ही होते हैं।
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