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Hindi Short Story in Hindi | आज और कल

अंकुर के 8 वें का परिणाम घोषित हुआ। अंकुर के दो दोस्त खुशी और अभिषेक उसके घनिष्टट दोस्त थे। बातों ही बातों में अभि ने खुशी से पूछा- '' इस बार छुट्टियों का क्या प्लान है। '' मैं अपनी फैमली के साथ बाहर जा रहा हूँ और खूब इंज्वाय करूँगा '' और अभि तुम - '' मैं तो बहुत सारी मूवी देखूँगा। ढेर सारा खेल भी खेल जाएगा ''। आनंद ने अंकुर से पूछा और आप - "मैं" ......... सोंच में पड़कर ुर सी ये सीक्रेट है .....। वह .......... अच्छा बच्चाू बड़ा प्लान है।
Hindi Short Story in Hindi | आज और कल
Hindi Short Story in Hindi | आज और कल 

         अंकुर भलिभांति जानता था कि उसकी आर्थिक स्थिति क्या है वह मध्ययम वर्गीय बालक सिर्फ कल्पना ही कर सकता था। वह यह भी जानता था कि इस मंहगाई में किराये के मकान में रहते हुये तथा पिता की कोई निचित आय होने पर भी उसके पिता बड़ी मेहनत से उसे पढ़ा रहे थे। जो उसके लिये पयार्प्त था। आपस  बाते करते करते वह मोड़ गया जहॉ तीनो अपने घर के लिये अकेले हो जाते थे। आनन्द ने कहा ‘‘इस बार मैं और अभि बी0आर0 कालेज ज्वाईन कर रहें हैं। ‘‘तुम भी आओ मेंरे साथ अंकुर‘‘ अभि ने कहा अंकुर बोला ‘‘उसकी फीस तो बहुत मंहगी होगी।‘‘ आनंद ने साधारणतयः कह दिया ‘‘तो क्या‘‘ पर अंकुर के लिए ये बहुत बड़ी बात थी क्योंकि उस कॉलेज की फीस बहुत ज्यादा थी  फिर भी उसने अपने दोस्तों को सहारा दिया ‘‘ठीक है मैं पिता से बात करूंगा Read Also-Hindi Story-Pattiyan | पत्तियाँ
            अंकुर की इच्छा तो थी उस बड़े विद्यालय में पढ़ने की  पर आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। फिर भी उसने हिम्मत की और इच्छा को साकार करने के लिये उसने अपने पिता के साथ छुट्टी भर कार्य किया अपने उस विद्यालय में दाखिला पाने के लिए   अंकुर के पिता फैब्रीक्रेटर थे। अपने पिता के साथ मिलकर उसने बहुत मेहनत की गर्मी की छुट्टियों में  ताकि अपने मित्रों के साथ बड़े स्कूल में पढ़ सके। अंकुर के पिता सक्षम नही थे फिर भी माँ के दबाव से उसका एडमीशन बी0आर कॉलेज में हो गया। अच्छे स्कूल का सपना साकार हुआ।  कुछ महीनों बाद अंकुर और उसके माँ बाप को कॉलेज की मंहगी फीस का सामना करने में परेशानी होने लगी। जब सभी एक्जाम की तैयारी करते थे तब वह कालेज का छूटा हुआ कार्य करता था। क्योंकि अन्य की तरह उसे उचित साधन उपलब्ध नही हो पाते थे।
       9वीं पास कर वह गर्मी की छुट्टियों में फिर से अपने पिता के साथ मेहनत की और 10वीं में उसी कालेज में पढ़ने लगा। परिवार की अर्थिक स्थिति और कमजोर हो गयी पिता का कार्य ठप हो गया और अंकुर स्कूल में फीस के लिये आये दिन लज्जित होने लगा। हाथ पैर जोड़कर किसी तरह उसने बोर्ड पारीक्षा तक अपने आप को संभाले रखा। बोर्ड के एक्जाम सर पर गये परन्तु पूरे वर्ष की फीस बकाया होने के कारण उसे प्रवेश पत्र नही मिल सका बोर्ड परीक्षा के शुरू होने का सिर्फ 1 दिन बचा    पिता ने सारा जहाँ छान डाला लेकिन कहीं पैसो का प्रबन्ध नही हो पाया फिर क्या सभी ने आस छोड़ दी।शाम के वक्त था जब पिताजी निराश घर लौटे तो पिता को उदास देखकर अंकुर पास आकर बोला-‘‘पापा हम अगली बार 10वीं पढ़ लेंगे इस बार कुछ याद भी नही हो पाया‘‘ और कहकर फिर अपनी पढ़ाई वाली मेज पर बैठ गया और पहले पेपर हिन्दी विषय को  याद करने लगा। मां बाप से देखा  नही गया वह कल का इंतजार कर रात में ही प्राधानाचार्य के पास जाकर चिरौरी विनती की परन्तु ‘‘बिना फीस भुगतान के प्रवेश पत्र नही मिलेगा ‘‘ये कहकर भागा  दिया
  अचानक अंकुर के  पिता अपने एक खास बैंककर्मी मित्र के वहां रात में गये और उनसे अपनी बात बताई उस मित्र ने शिक्षा के नाम पर  तत्काल 10 हजार रूपये की व्यवस्था की और कहा ‘‘ कल अंकुर के पास होने पर लड्डू जरूर खिलाना।‘‘ अंकुर के पिता के चेहरे पर रौनक गई अपने मित्र का धन्यवाद देते हुए चले गए उस व्यक्ति की सहायता से अंकुर का प्रवेश  पत्र मिल गया और उसने परीक्षा में बैठने की अनुमति मिल गई परीक्षा खत्म होने के कुछ दिनों बाद ही  परीक्षा परिणाम भी गया जो  सकारात्म था   अंकुर के पिता अंकुर के पास होन की खुशी में सर्वप्रथम  उस व्यक्ति के पास मिठाई लेकर गए जिसने अंकुर की मदद की थी परन्तु वहाँ पहुचने पर  पता चला कि उस व्यक्ति की पिछले ही महीने चिंता ह्रदयघात के कारण मृत्यु हो गयी

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