Student अर्थात छात्र, विद्यार्थी जो विद्या सीखने वाला होता है।आज के युग में शिक्षा का विशेष महत्त्व है। प्रत्येक भौतिक वस्तु के खोने या इसके नष्ट होने की संभावना रह सकती है परन्तु किसी के द्वारा अर्जित विद्या कभी भी नष्ट नहीं हो सकती है। इसलिए प्रत्येक छात्र को अपने छात्र जीवन में यदि विद्या प्राप्ति का अवसर मिला है तो इसे बड़ी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है यदि किसी ने अपने इस समय का भरपूर उपयोग कर विद्या का अध्ययन पूरी ईमानदारी और लगन से की है तो वह कभी व्यर्थ नहीं जाने वाली। प्रत्येक विद्यार्थी को अपने छात्र जीवन में अनुशासित रहते हुए विद्या ग्रहण करना आवश्यक है। चलिए जानते हैं एक Ideal Student आदर्श विद्यार्थी क्या होता है।
काक चेष्ठा वको ध्यानम स्व निंद्रा तत्थवये च।
अल्पाहारी गृहत्यागी विद्यार्थियम पंच लक्षणा। ।
अर्थात
कौए जैसी चतुराई, बगुले जैसा ध्यान, कुत्ते जैसी नींद, कम तथा आवश्यक भोजन करना, सांसारिक माया से मुक्त ( शांत वातावरण ) या घर त्यागने वाला, ये पाँच लक्षण होना एक विद्यार्थी के लिए बताएं गये हैं।
उपयुक्त श्लोक में एक शब्द है गृहत्यागी जिसका शाब्दिक अर्थ है घर को छोड़कर किसी अन्य स्थान पर जाकर शिक्षा का अध्यन करना। ये उन विद्यार्थियों के लिए है जिनके निवास क्षेत्र में उचित शिक्षा का साधन नहीं होता। इसका दूसरा अर्थ ये भी है कि घर की भौतिक वस्तुओं के प्रति लालसा का अध्यनकाल के दौरान शिक्षा के लिए त्याग।
एक आदर्श विद्यार्थी (Ideal Student ) के ये पाँच गुण हैं जो श्लोक में बताए गए है।
student Life |
अन्य-
- नैतिक शिक्षा से युक्त होना तथा सामाजिक वा पारिवारिक स्तर पर सभ्यतापूर्ण आचरण को बनाये रखना
- अच्छी संगति के साथ रहते हुए सकारत्मक परिवेश का सृजन करना।
- अपने विषय के प्रति पूर्ण समर्पित भाव से तथा पूर्ण ईमानदारी के साथ अध्धयन करना।
- माता-पिता या अभिवावक का प्रतिदिन अभिवादन करना तथा उन्हें प्रतिउत्तर न देना।
- अध्यापक के समक्ष उनका आदर और सम्मान करते हुए अपने आप को शालीनता तथा सहजता से प्रस्तुत करना।
- प्राप्त की जा रही शिक्षा को सर्वप्रथम अपने लिए उच्च उपयोगिता के द्रष्टिकोण से देखना। ततपश्चात अपने जीवन के लिए उपयोगी बनाना।
- और सबसे उत्तम है समय का पूर्णरूप से सदुपयोग करना। प्रत्येक कार्य समय पर।
- जो सहज हो सरल हो
On time Up to date. Always ready never be late.
बाकी एक विद्यार्थी स्वयं में अपने बनाये सिद्धांतों का पालन करते हुए भी आदर्श बन सकता है। जो अध्धयन काल मे परिस्थितियों के अनुकूल हों।
Thanks sir !
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