सामान्यतः " मैं " एकवचनकर्ता को दर्शाता है जिसका प्रयोग मात्र स्वयं के लिए किया जाता है।
"हम" बहुवचनकर्ता को दर्शाता है जिसका प्रयोग, स्वयं के साथ साथ अन्य को भी इसमें शामिल करते हुए किया जाता है। हम अर्थात हम लोग , हम सभी ।
जैसे किसी एक कार्य को कई व्यक्ति मिलकर करते हैं और उनसे पूछने पर उनमे से कोई एक कह सकता है कि अमुक कार्य हम ने किया है अर्थात उस व्यक्ति के साथ साथ अन्य व्यक्तियों ने मिलकर वो कार्य किया है। यदि यही कार्य केवल एक व्यक्ति करता है तो उसका जवाब होता है कि अमुक कार्य मैं ने (स्वयं के द्वारा ) किया हैं।
जहाँ मैं मात्र स्वयं के होने का बोध करता है वहीं हम स्वयं के साथ साथ अन्य के शामिल होने का बोध करता है। मैं शब्द एक व्यक्ति तथा हम शब्द एक या एक से अधिक व्यक्तियों का होना दर्शाता है।
परन्तु " मैं " और "हम" का प्रयोग अपनी बात को सामने वाले के समक्ष रखने के तरीके पर भी निर्भर करता है जिसके कारण कभी " मैं " के स्थान पर " हम " शब्द का प्रयोग करना उचित जान पड़ता है।
जैसे एक व्यक्ति किसी कार्य को सही तरीके से नही कर पा रहा तो उसका सहयोगी कह सकता है कि
- मैं नही चाहता कि तुमसे ये कार्य ग़लत हो इसलिए मैं तुम्हारी सहायता करूँगा इस कार्य को सही तरीके से करने के लिए ।
- हम नही चाहते कि तुमसे ये कार्य ग़लत हो इसलिये हम तुम्हारी सहायता करेंगें इस कार्य को सही तरीके से करने के लिए ।
दोनो वाक्यों में एक व्यक्ति के माध्यम से स्वयं के द्वारा अन्य व्यक्ति से एक ही बात कही जा रही परन्तु इसमें प्रथम वाक्य सही होगा यदि वह वाक्य वास्तव में उस एक व्यक्ति के द्वारा उसके व्यक्तिगत दृष्टिकोण से कही जा रही है । वहीँ द्वितीय वाक्य सही होगा यदि वह वाक्य वास्तव में उस एक व्यक्ति द्वारा उसके सामाजिक द्रष्टिकोण से कही जा रही है। अतः दूसरा वाक्य ये स्पष्ठ करता है कि यह उस जैसे विचार वाले सभी व्यक्तियों, समूह की तरफ से कहा जा सकता जो एक सामाजिक स्तर पर स्वाभाविक है। अर्थात उसकी जगह कोई और उस अन्य व्यक्ति को ग़लत तरीके से कार्य करते देखता तो वो भी हम का प्रयोग करता ।
मैं जानता हूँ इसका अर्थ है कि सिर्फ और सिर्फ वही जनता है और कोई नही
हम जानते हैं इसका अर्थ है कि मैं के साथ साथ अन्य लोग भी जानते हैं।
जहाँ मैं केवल स्वयं के होने को दर्शाता है वहीँ हम स्वयं को एक समूह के साथ होने को दर्शाता है। अतः जब भी मैं शब्द का प्रयोग हो तो यह व्यक्तिगत तौर पर स्वयं के लिए तथा जब भी हम का प्रयोग हो तो यह व्यक्तिगत व सामाजिक तौर पर स्वयं के साथ साथ अन्य के लिए प्रयोग किया जाता है।
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