हम इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करेंगे कि दैनिक जीवन में कितने खुश रहें। यदि हम अपने जीवन को करीब से देखते हैं, तो हम जानते हैं कि यह हमारे ऊपर है कि हम खुश रहें या नहीं क्योंकि यह सिर्फ एक सोच है और कुछ नहीं। यदि हम अपना दृष्टिकोण बदल रहे हैं, तो हम अपने आप में खुश रह सकते हैं और अपने जीवन के अनुसार खुशी के विभिन्न आयामों की तलाश करते हुए हमेशा खुश रह सकते हैं।
जीवन में खुश कैसे रहें? | हमेशा खुश रहने का उपाय | Happiness |
जीवन में खुश कैसे रहें?How to be happy in life
यदि कोई अपनी ख़ुशी को भौतिक वास्तुवों से नहीं जोड़ता तो हो सकता है वह वास्तव में खुश हो, अतः जो भी भौतिक वस्तुएँ अथवा सुख हैं वह मात्र किसी के जीवन की बाह्य आवश्यकता को पूर्ण करते हैं और समय के साथ इनसे जुड़ी ख़ुशी धीमी होते हुए खत्म हो जाती है परन्तु किसी की आंतरिक ख़ुशी, प्रसन्नता, सुख मात्र उसके स्वयं से ही है जिसमें वह जितना चाहे उतना मन से ख़ुश रह सकता है।
यदि कोई किसी भी पहलू को दो नज़रिए से देखना पसंद करता है तो वह उसके लिए बेहतर हो सकता है ताकि यदि किसी एक नज़रिए से उसे दुःख हो या नकारात्मकता का आभास हो तो दूसरा नज़रिया उसे संभालते हुए संतुलित कर दे। ऐसा नहीं है कि सभी के अनुकूल जीवन की सारी घटनाएं घटित होती हैं या किसी के पास संघर्ष नहीं हैं। बस कोई अपने संघर्षो और समस्याओं से ख़ुशी ख़ुशी लड़ता है तो कोई इसे कोसते हुए स्वयं में परेशान रहकर लड़ता है।
परिस्थितियों को अपने अनुकूल करने का ही तो संघर्ष है किसी भी मनुष्य के लिये परन्तु आप और हम सिर्फ प्रयास कर सकते हैं जो कभी हमारे अनुरूप होती हैं तो कभी नहीं परन्तु हमे दोनो स्थितियों को स्वीकार करने की आवश्यकता है। और सभी परिस्थिति में कोशिश यही करनी चाहिए कि इनसे निपटने का सकारत्मक उपाय अपनाया जाए ताकि उक्त समस्याओं से शिघ्रता से बाहर निकल कर पहले जैसी स्थिति में आया जा सके और खुश रहा जाए।
आईने ( संघर्ष ) से जो डर गए तुम
हर क़दम पीछे ही होते जाओगे
ज़िंदा रहते ख़ुद में जो मर गए तुम
तो सोंची मंजिल कैसे पाओगे
उठो चलो और चलते जाओ
निरंतर बिना डरे बढ़ते जाओ
कोई चिंता न कोई फिक्र करो
होगा सब अच्छा बस खुश रहो
हर क़दम पीछे ही होते जाओगे
ज़िंदा रहते ख़ुद में जो मर गए तुम
तो सोंची मंजिल कैसे पाओगे
उठो चलो और चलते जाओ
निरंतर बिना डरे बढ़ते जाओ
कोई चिंता न कोई फिक्र करो
होगा सब अच्छा बस खुश रहो
हमेशा खुश रहने का उपाय
- क्रोध न करें।
- बेवजह बहस में न पड़े।
- कम बोले पर प्रभावशाली बोलें।
- बेवजह किसी को सलाह न दें। जब कोई सलाह मांगे तभी दिजीये और आप जो सलाह दे रहें उसमें आपका व्यक्तिगत अनुभव भी होना चाहिए।
- हर परिस्थिति को जो दिनचर्या में सामने आती है, उसको साकारत्मक रूप से स्वीकार करें और समस्या में न उलझते हुए समाधान खोजें।
- अपने बड़ों से बहसबाजी न करें। बल्कि उनसे सीखने के भाव मेंं बात करें, भले ही आपको सब पता हो।
- दोस्तो या सार्वजनिक रूप में मजाक सहन करने की क्षमता हो तभी मजाक करें। या शामिल हों।
- आप शारीरिक, मानसिक रूप या कार्यक्षमता में कैसे भी हों, हीनभावना मन मे न लाएं।
- किसी की सुनी-सुनाई बातों पर भरोसा करने से पहले उसकी जाँच करें। सामने वाले की बात ध्यान से सुने और जब वो आपके बारे में पूछे तभी बताएं। यहां अपने बारे में ज्यादा बताने वाले हैं और सुनने वाले कम हैं।
- आपकी जो प्रबल इच्छा है, उसकी कल्पना करें। और उसको पूरा करने के लिए मार्ग बनायें।
- लोगोंं की फिजूल बातें जिनका आपकी ज़िंदगी से कोई लेनदेन नहीं है। एक कान से सुनें और दूसरे कान से निकाल दें।
- चुगली न करें किसी की किसी से साथ। अगर कोई आपको किसी बात या कार्य से कष्ट पहुंंचाता है, तो उसे नादान समझते हुए उससे कुछ दिन दूर हो जायें बगैर कुछ कहे।
- प्रत्येक कार्य को समय पे खत्म करते रहना चाहिए, क्योंकि टालने की आदत से मन भारी होता है।
- साफ और सच बोलना। वादे करने के बाद उन्हें निभाने की ईमानदारी से कोशिश करना चाहिए।
मानसिक रूप से अपने आप को मजबूत करें और खुश रहें।
हम अपनी सोंच और दिनचर्या को इस प्रकार से बनायें ताकि हमारा मस्तिष्क बेहतर तरीके से कार्य करें और हम ख़ुशी का अनुभव कर सकें . इसके लिए। ...
- सदैव प्रत्येक परिस्थिती में अपनी सकारत्मक सोंच को बनाये रखना । अच्छा सोंचे बेहतर सोंचे।
- प्रत्येक समस्या ( Problem) में न उलझते हुए उसके समाधान के बारे में विचार करना ।
- क्रोध पर नियंत्रण करना । जिससे मन आंतरिक रूप से शांत और सशक्त होता है। साथ ही भरपूर नींद लेना तथा सोने और जगने का समय निश्चित करना।
- प्रतिदिन ध्यान और योगा करना । जिससे मस्तिष्क स्वस्थ और शरीर दुरुस्त रहता है। साथ ही भोजन के साथ कच्ची सामग्री जैसे सलाद, फल, पत्तेदार सब्जियां, रस आदि का प्रयोग करना।
- चिन्ता करने की बजाय चिंतन करना ।आंतरिक व बाह्य रूप से प्रसन्न रहना, चाहे जैसी परिस्थिती हो ।
- सभी से अच्छा व्यवहार करना । साथ ही अपने आप से भी प्रेम करना।
- प्रतिदिन कुछ न कुछ सीखना, पुस्तक पढ़ना, अपने काम को पूरी शिद्दत से करना जब भी करना।
- कार्य को टालने की क्रिया से बचना । जिससे मन भारी होने से बचता है। प्रत्येक कार्य को समय पर खत्म करना।
- बेवजह बहस में न पड़ना । साथ ही किसी की बुराई न करना। असत्य का सहारा न लेना ।
- अपने प्रति ईमानदार रहना । कम बोलना पर प्रभावशाली बोलना।
- धूम्रपान, मदिरापान, व सभी प्रकार के मादाक पदार्थो के सेवन से बचना । इन चीज़ो का मस्तिष्क पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
- ज़िन्दगी के प्रत्येक पल को सजगता के साथ जीना क्योंकि जो भी होता है वो अभी इसी वक्त बिल्कुल अभी में होता है। अर्थात सदैव वर्तमान में जीना।
Image- Google Pixabay
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