एक देहाती लड़का (खईंच) शहर में मोहल्ले की गलियों में अपने मन में बड़बड़ाता हुआ चला आ रहा है और आसपास के मकानों को गौर से निहार रहा है जैसे पहचान कर रहा हो। सिर पर एक कद्दू और एक हाथ में झोला जिसमे कुछ सामान साथ में है जो अपने घर से लाया था।
(लड़का चलते हुए अपने आप से बातें कर रहा है )उकरे समने नीम का बेरवा " अब तव राहुलव बड़ा होई गवा होई
इधर-उधर देखते हुए जा रहा है तभी एक तरफ से उसे लाल नहीं पर उस से मिलता जुलता घर जिसके सामने नीम का पेड़ लगा हुआ था दिख जाता है पास जाकर गौर से देखता है
खाईंच - लागत तव याहय है और कौनो तो है नाय
(मेन गेट की तरफ बढ़ कर रुक जाता है।)
खाईंच - अरे यू तव शहर आए हम भूलेंन गें रहन हियन तो घंटी बजावैक परत है ।
अपने शरीर का बोझ हल्का करते हुए लड़का बड़े प्यार से घंटी बजाता है (टिंग टोंग) कोई नहीं निकला फिर से बजाता है कुछ देर बाद एक लड़का बाहर निकल कर आता है प्रश्न भाव में पूछता है हाथों के इशारे से, क्योंकि वह गूंगा होता है।
खाईंच - अरे राहुल
(राहुल सिर हिलाता है)
खाईंच - अरे हम खईंच पहचाना भाई (और गले लग जाता है )
सामान की गठरी उठाता तथा राहुल से झोला उठाने को कहता है और चला जाता है घर के अंदर। दोनों बैठक कमरे में आते हैं और आते ही दोनों बैठ जाते हैं
खईंच- अरे राहुल भैया मऊसिया कहाँ है घर में कोई दिखात नाहीं
राहुल समझ नहीं पाता की ये किसके बारे में बात कर रहा है।
खईंच एक टिफिन निकालता है
खईंच- या दयाखाव तुम्हरे खातिर अम्मा हलवा भीज्वाइन हैं लेव खाओ खाओ( देते हुए)
राहुल हलवा ऐसे छिनता है जैसे पहले कभी खाया न हो और तेज़ी से खाने लगता है।
खईंच- शहर में आएक तुम तव भूलेन गेव हमका गांव तव कबहू कदार आय जावा करव। मुजई तुमका बहुतै याद करत हय वहाव सार आवत रहा है हमरे साथ बकिल हम कह दिया अगली बार चलेव अबकी बार हमका जाय देव
राहुल हलवा खाते खाते खाते बनावटी हंसी के साथ मुस्कुराता है
खईंच- वइसन घर तो बड़ा सुंदर लागत है और तुमका पता है गांव मा बिजलीआय गई है हूवाओं अब बल्ब जलत हैं , बड़ा नीक लागत है।
राहुल का हलवा खत्म हो गया था वह झोले की तरफ ललचाई नज़रों से देखता है
खईंच- खत्म हो गवा कौनो बात नहीं
झोले में से फिर एक डिब्बा निकलता है
खईंच- अम्मा के हाथ कय लड्डू लेव खाओ, तुमरेन खातिर लाइन रहन ।
राहुल लड्डू खाने लगता है
खईंच- लल्लन केयर तो शादी हो गई तबहू बच्चापना जात नय मजेक बात सुनव याक दिन सरऊ पतंग लूटे खातिर छपरा पर फांद परे और नीचे चूल्हा जलत रहाय , छपरा रहा पुरान फाट गवा अइसन जरे हैं
(राहुल खीस कढ़ता है खाते हुए) फिर उई दिन से पतंगबाजी छोड़ दिहीन, तुम कुछ बोलत काहे नाही ( खईंच अपनी बातों के बीच मे पूँछता है) अच्छा अच्छा खाय लेव पहिले फिर बताओ
राहुल खाने में मग्न है खईंच बोर होकर इधर देखता है उसको म्यूजिक सिस्टम दिखाई दे जाता है
खईंच- अरे यू तव बजा आये बढ़िया वाला चलो सारेक बाजवा जाए
पास जाकर सिस्टम का बटन दबा देता है गाना बजने लगता है उसको मजा आ जाता है और वह नाचने लगता है राहुल भी उसी में शामिल हो जाता है दोनों इतने मग्न हो जाते हैं कि कमरे का सारा होलिया ही बिगाड़ देते हैं अजीब अजीब दोनों हरकतें करते हैं ।
तभी गेट पर एक लड़की आती है म्यूजिक लाउड होने से वह दौड़ कर जाती है कमरे में , आकर देखती है राहुल और एक अनजान देहाती लड़का बेसुध होकर नाच रहे हैं और कमरे का सामान बिखरा हुआ पड़ा है गुस्से से आग बबूला हो जाती है लड़की चिल्लाती है राहुल के ऊपर और म्यूजिक बंद कर देती है फिर भी वह नाचते रहते हैं पास जाकर राहुल के कान के नीचे रसीद देती है एक थप्पड़ राहुल चौक जाता है और जल्दी जल्दी सामान सही करने लगता है खईंच अचानक रुक जाता है और लड़की की तरफ आश्चर्य से देखने लगता है
लड़की - कौन हो तुम? और घर में कैसे घुस गए।
खईंच- जैसे घुसा जाता है वैसन घुस गएन
लड़की- अरे कहां से आए हो? क्या नाम है तुम्हारा ? और यह सब क्या है
खईंच- हमार नाम खईंच है और हम अपने भाई से मिलय आए रहान
लड़की राहुल की तरफ देखती है
लड़की - खईंच ये कैसा वाहियात नाम है
खईंच- (शरमाते हुए ) वो हमरी गर्लफ्रेंड मुझे प्यार से बुलाती है
लड़की- जानते हो इसे कौन है? ( राहुल ना में सर हिलाता है )
लड़की- तो फिर यह सब क्या था (दोनों की तरफ देखते हुए)
खईंच- पहिले तुम बताओ कौन हो? और हमारे भाई के घर में कैसन
लड़की - मैं कौन हूँ , मेरे ही घर में मुझी से सवाल यह मेरा घर और राहुल इस घर का नौकर है ।
खईंच- (राहुल की तरफ देखते हुए) का तुम हियाँ नौकरी करत हो काहे भाई
लड़की - हाँ पहले तुम घर से बाहर निकलो। राहुल तो गूंगा है, और साथ में पागल भी
खईंच-- आई हो दादा आवाज चली गई हमरे भाई की तबहेन हम कही की आखिर यू बोलत काहे नाही
लड़की - ओह हो यह क्या ड्रामा है कौन भाई कहाँ का गांव ऐसा है तुम निकलो यहाँ से (झल्लाते हुए )
खईंच- तव का यू राहुल का घर नाही है का
लड़की - नहीं कितनी बार बताऊं कि राहुल नौकर है इस घर का और तुम किस राहुल की बात करते हो
खईंच थोड़ा सकपकाते हुए एक कागज देता है
खईंच- दयाखव याहय तव पता हय ना
लड़की देखती है उस पन्ने को
लड़की - अरे यार यह तो उस गली में है तुम गलत पते पर आए हो खईंच- आई हो दादा यू का मामला गड़बड़ाय गवा धोखा होई गवा (अपने सामान की तरफ देखता है टिफिन और डिब्बे की तरफ देखकर अफसोस करता है और समेटने लगता है)
खईंच-- अरे ई ससुरे को बतावेक तो चाही( राहुल की तरफ देखते हुए)
लड़की- वह तो पागल है अकल घुटने में है उसकी ।अब जान गए हो ना तो निकलो यहां से
लड़की बाहर तक गेट बंद करने के लिए खईंच को छोड़ने जाती है । पीछे पीछे राहुल भी आकर खड़ा हो जाता है गेट पर खईंच लड़की को इग्नोर करते हुए राहुल की तरफ देखता है ।
खईंच- वइसन बड़ा मजा आवा ( राहुल मुस्कुराता है)
लड़की - निकलो बड़ी तेजी से नहीं तो ...
खईंच- (जाते जाते) वैसे तुम गुस्सा मा बड़ी नीक लगती हव
(खीस काढ़ते हुए)
लड़की- झल्लाती है मासूमियत से ....गेट बंद करके चली जाती है।
खईंच- (कुछ दूर आकर रास्ते मे बड़बड़ाता है अपने आप से) अच्छा झाम मा फंस गएन सार वु पगलवा जाऊं लाएंन रहय वहाव खाय गवा चलव कोई बात नाही कद्दू (देखते हुए) तव बचय हय ।और चला जाता है।
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